धातु पुनर्चक्रण प्राधिकरण

धातु पुनर्चक्रण प्राधिकरण

  • भारत में पाए जाने वाले अनेक अलौह धातुओं एल्यूमिनियम, जस्ता, सीसा और तांबा के पुनः चक्रण को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार द्वारा एक धातु पुनर्चक्रण प्राधिकरण  की स्थापना  जून 2021 तक की जायेगी।
  • इससे एल्यूमीनियम, तांबा, जस्ता और सीसा आदि धातुओं के पुनर्चक्रण को प्रोत्साहन मिलेगा । ज्ञातव्य है  कि इन अलौह-धातुओं का प्रयोग मोटर वाहन, विद्युत आदि जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से होता है।
  • इसके साथ ही ऐसा अनुमान है कि खान मंत्रालय द्वारा स्क्रैप संग्रहण, पृथकरण और उद्धवंसन इकाइयों (dismantling) को विनियमित करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ राष्ट्रीय अलौह धातु स्क्रैपपुनर्चक्रण रूपरेखा (National Non-Ferrous Metal Recycling Framework) निर्मित की गई है।
  • इस प्राधिकरण के 6 Rs के सिद्धांतों पर कार्य करेगा जो निम्नलिखित हैं {Reduce- कम करना, Reuse-पुन: उपयोग, Recycle- पुनरावृत्ति, Recover- पुनर्प्राप्त, Redesign- नया स्वरूप और Remanufacture नया निर्माण}
  • यह प्राधिकरण पुनर्चक्रण के लिए गुणवत्ता मानकों के निर्धारण, प्रमाणन और प्रक्रियागत मानकों की निगरानी करेगा।
  • नीति आयोग के एक प्रतिवेदन के अनुसार, भारत में धातु पुनर्चक्रण दर वैश्विक मानकों की तुलना में बहुत कम है। इसके अतिरिक्त, पुनर्चक्रण अधिकांशतः: अनौपचारिक क्षेत्र में ही संचालित किया जाता है।

पुनर्चक्रण में चुनौतियां-

  • रीसाइक्लिंग (पुनर्चक्रण )की प्रक्रिया से धातुओं को दुबारा से प्रयोग में लाया जा सकता है।
  • नीति आयोग की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में विभिन्न धातुओं के पुनर्चक्रण की दर विश्व के अन्य देशो की तुलना में कम है। इसके लिए जिम्मेदार करको के रूप मे ,एक संगठित पुनर्प्राप्ति तंत्र का अभाव, पुनर्नवीनीकृत उत्पादों के मानकीकरण का अभाव, विशिष्ट कौशल घटकों का अभाव आदि को देखा जा सकता है।

घातु-पुनर्चक्रण से प्राप्त लाभ-

  • धातु निष्कर्षण के कारण सामाजिक रूप से जनजातियों और अन्य स्थानीय समुदायों के विरोध के कारण संघर्ष सामने आए हैं। पुनर्चक्रण की प्रक्रिया से धातुओं को दुबारा से प्रयोग में लाए जाने से इनमे कमी आ सकती है ।
  • धातु पुनर्चक्रण से निष्कर्षण में कमी आयेगी जिससे विस्थापन में कमी आयेगी, जनजातीय असंतोष कम होगा और आजीविका की हानि से बचा जा सकेगा।
  • खनन द्वारा उत्पन्न दबाव को कम करने से पारिस्थितिक निम्नीकरण को भी कम करने में सहायता मिलेगी।
  • केवल विनिर्माण क्षेत्र में, भारत 60,855 मिलियन रुपये तक की बचत कर सकता है। नए उद्योगों की स्थापना, पुनर्चक्रण में नवाचार आदि लाभ हो सकते है ।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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