मैरीटाइम इंडिया समिट
- हाल ही में जहाज़रानी मंत्रालय ( Ministry of Ports, Shipping and Waterways) द्वारा मैरीटाइम इंडिया समिट (एमआईएस)2021 का शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया ।
- इसका उदघाटन 2 मार्च को प्रधानमंत्री द्वारा किया गया । इस शिखर सम्मेलन का आयोजन वर्चुअल फॉर्मेट में किया गया।
- इसमें भारत सहित रूस, अफगानिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान और आर्मेनिया के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
- मैरीटाइम इंडिया समिट शिखर सम्मेलन वैश्विक समुद्री सेक्टर में भारत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया ।
मुख्य बिंदु
मैरीटाइम इंडिया समिट में भारत ने ‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे’ के संबंध में निम्नलिखित प्रस्ताव रखे –
- ‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे’ में ‘चाबहार बंदरगाह’ पोर्ट परियोजना को शामिल किया जाए।
- अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान को INSTC परियोजना में शामिल करके इसकी सदस्यता में विस्तार किया जाए।
- हाल ही में, मुंबई पोर्ट ट्रस्ट ने 7,400 करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर किए।इस शिखर सम्मेलन के एक भाग के रूप में 20,000 करोड़ मूल्य के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गये।
- इसमें समुद्री विशेषज्ञों जैसे सेक्टर विशेषज्ञों, नीति नियोजकों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, शिपिंग लाइन मालिकों, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों और दुनिया के कई हिस्सों से प्रमुख बंदरगाहों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
पृष्ठभूमि
- रूस, ईरान और भारत ने 16 मई, 2002 को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा परियोजना के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये थे । रूस, भारत और ईरान परियोजना के संस्थापक सदस्य देश हैं ।
- इसके वर्तमान सदस्य देश भारत, ईरान, रूस, अज़रबैजान, कज़ाखस्तान, आर्मेनिया, बेलारूस, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, ओमान, सीरिया, तुर्की, यूक्रेन और बुल्गारिया (पर्यवेक्षक) हैं।
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ (INSTC)
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा- INSTC, माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग का 7,200 किलोमीटर लंबा बहु-विधिक (मल्टी-मोड) नेटवर्कहै।
- यह कॉरिडोर हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के ज़रिये कैस्पियन सागर से जोड़ेगा और फिर रूस से होते हुए उत्तरी यूरोप तक पहुँच बनाएगा।
- फेडरेशन ऑफ फ्रेट फॉरवार्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सर्वे में बताया गया है कि मौजूदा मार्ग के मुकाबले INSTC ,30 प्रतिशत सस्ता और 40 प्रतिशत छोटा मार्ग होगा।
- इसके तहत ईरान, अज़रबैजान और रूस के रेल मार्ग भी जुड़ जाएंगे। इस कॉरिडोर के शुरू होने से रूस, ईरान, मध्य एशिया, भारत और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और वस्तुओं की आवाज़ाही में समय और लागत की बचत होगी।
- यह मध्य एशिया और फारस की खाड़ी तक माल-परिवहन हेतु एकअंतरराष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा ‘अश्गाबात समझौता’, के साथ भी तालमेल स्थापित करेगा जो, भारत, ओमान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उजबेकिस्तान और कजाकिस्तान द्वारा हस्ताक्षरित एकबहुउद्देशीय परिवहन समझौता है ।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस