मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट (MAC) पहल
हाल ही में COP-27 सम्मेलन के दौरान भारत ‘मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट’ (MAC)पहल में शामिल हुआ है।
MAC को संयुक्त अरब अमीरात ने इंडोनेशिया के साथ साझेदारी में शुरू किया है। इसका लक्ष्य मैंग्रोव वनों के संरक्षण और पुनर्स्थापन को बढ़ाना एवं तेज करना है।
ऑस्ट्रेलिया, जापान, स्पेन और श्रीलंका इस पहल के अन्य सदस्य हैं।
मैंग्रोव जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रकृति आधारित समाधान के रूप में कार्य करते हैं। इस पहल का उद्देश्य मैंग्रोव की इस भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
मैंग्रोव के बारे में–
- मैंग्रोव लवण-सहिष्णु पादप समुदाय हैं। ये समुद्री और स्थलीय पर्यावरण के बीच संक्रमण स्थलों पर विकसित होते हैं।
- वे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अंतर-ज्वारीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- इनके विकास के लिए अनुकूल स्थितियां इस प्रकार हैं: अधिक वर्षा : 1,000 से 3,000 मिलीमीटर के बीच, तापमान: 26°C से 35°C के बीच, तथा जड़ों को स्थिरता प्रदान करने के लिए पर्याप्त तलछट युक्त शांत जल।
- मैंग्रोव कई तरह की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करते हैं।
मैंग्रोव के संरक्षण के लिए भारत में की गई पहले–
- मैंग्रोव और मूंगा चट्टानों (कोरल रीफ) के संरक्षण एवं प्रबंधन पर राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना शुरू की गई है।
- तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) अधिसूचित करके विनियामक उपायों का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
- गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय हिस्सों के लिए एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन परियोजना शुरू की गई है।
स्रोत – द हिन्दू