अहोम शाही कब्रगाह ‘मोइदाम‘ होगा यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (WHS) सूची में शामिल
हाल ही में असम की अहोम शाही कब्रगाह ‘मोइदाम’ को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (WHS) सूची में शामिल करने के लिए नामांकित किया गया है।
- वर्तमान में, भारत में 40 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। इनमें 32 सांस्कृतिक ( पूर्वोत्तर से एक भी नहीं), 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित श्रेणी के धरोहर हैं।
- ‘मोइदाम’अहोम राजाओं, रानियों एवं कुलीन लोगों के कब्रगाह टीले हैं।
- हालांकि ‘मोइदाम ऊपरी असम के सभी जिलों में पाए जाते हैं, लेकिन अहोमों की पहली राजधानी चराइदेव, अहोम के लगभग सभी शाही लोगों का कब्रिस्तान है ।
मोइदाम में तीन प्रमुख विशेषताएं पाई जाती हैं:
- एक गुंबदाकार कक्ष (मृतक के अवशेषों को रखने के लिए) ।
- मिट्टी का एक अर्धगोलाकार टीला,’जो ईंटों की संरचना (चाउ – चाली ) वाले कक्ष को ढके हुए है। ईंटों की इस संरचना के ऊपर प्रतिवर्ष चढ़ावा जाता है।
- एक अष्टकोणीय चारदीवारी, जिसके पश्चिम में एक मेहराबदार प्रवेश द्वार है ।
- मोइदाम का आकार मामूली टीले से लेकर एक छोटी पहाड़ी जितनी ऊंचाई तक का है । इनका आकार दफनाए गए व्यक्ति की सत्ता, दर्जा और उसके संसाधनों पर निर्भर करता है ।
- शाही मोइदाम सहित सभी नागरिक संरचनाओं के निर्माण के लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त किया जाता था। इसे चांगरुंग फुकन (Changrung Phukan) के पदनाम से जाना जाता था।
- अहोम राजाओं को उनके खजाने तथा दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ दफनाया जाता था ।
अहोम साम्राज्य के बारे में
- पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से अहोम लोग महान ताई (ताई – याई) समूह के सदस्य हैं।
- उन्होंने अहोम वंश के पहले राजा छो लुंग सुकफा के नेतृत्व में पटकाई पहाड़ियों से होकर ब्रह्मपुत्र घाटी से ऊपरी असम क्षेत्र में प्रवेश किया था ।
- उन्होंने चराइदेव को अपनी राजधानी बनाया था ।
- लचित बोरफुकन सबसे महानतम सेनापतियों में से एक था, जिसने मुगलों के खिलाफ युद्ध किया था ।
स्रोत – द हिन्दू