Question – मैडेन जूलियन ऑसीलेशन क्या है? यह वर्षा को कैसे प्रभावित करता है? – 25 March 2022
Answer – मैडेन जूलियन ऑसीलेशन (एमजेओ) उष्णकटिबंधीय में सबसे महत्वपूर्ण वातावरण-महासागर से जुड़ी हुई घटनाओं में से एक है, जिसका भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एमजेओ उष्णकटिबंधीय मौसम से जुड़ी जलवायु में होने वाले बदलाव का एक तरीका है, जिसकी अवधि आमतौर पर 30 से 60 दिनों की होती है, जिसे मैडेन और जूलियन द्वारा 1971 में खोजा था तथा इस पर एक पेपर भी प्रकाशित किया था।
मैडेन जूलियन ऑसीलेशन की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
- एमजेओ एक वृहद् मौसमी घटना है, जिसमें वायुमंडलीय परिसंचरण के साथ गहन संवहन सम्मिलित है, जो धीरे-धीरे भारतीय और प्रशांत महासागरों पर पूर्व की ओर बढ़ती है।
- एमजेओ नियम विरुद्ध होने वाली वर्षा का एक भूमध्यरेखीय पैटर्न है, जो कि निरंतर प्रवाहित होने वाली घटना है, एवं हिंद एवं प्रशांत महासागरों में सबसे प्रभावशाली है। इसलिये MJO हवा, बादल और दबाव की एक चलती हुई प्रणाली है। यह जैसे ही भूमध्य रेखा के चारों ओर घूमती है वर्षा की शुरुआत हो जाती है।
- प्रत्येक चक्र लगभग 30 से 60 दिनों तक रहता है। इसे 30-60 दिन के दोलन, 30-60 दिन की लहर या अंतर-मौसमी दोलन (आईएसओ) के रूप में भी जाना जाता है।
Madden-Julian Oscillation (MJO) के चरण (Phases)
- MJO के मुख्य तौर पर दो चरण या (Phases) हैं: एक संवहन या enhanced rainfall का चरण है, और दूसरा suppressed rainfall का चरण है।
- मजबूत MJO गतिविधि अक्सर ग्रह को आधे भाग में विघटित करती है: एक आधा बढ़ता हुआ संवहनी चरण और दूसरा आधा suppressed संवहनी चरण। ये दो चरण बादलों और वर्षा में विपरीत परिवर्तन उत्पन्न करते हैं, और यह संपूर्ण द्विध्रुवीय (Dipole) पूर्व की ओर फैलते हैं।
- चरण 1 में एमजेओ के पश्चिमी हिंद महासागर के ऊपर संवहन के कारण वर्षा का एक क्षेत्र विकसित हुआ।
- चरण 2 और 3 में, वर्षा का क्षेत्र धीरे-धीरे पूर्व और अफ्रीका के कुछ हिस्सों, हिंद महासागर और भारतीय उपमहाद्वीप तक बढ़ जाता है।
- चरण 4 और 5 में, वर्षा का क्षेत्र इंडोनेशिया और पश्चिमी प्रशांत महासागर तक पहुँचता है।
- चरण 6, 7 और 8 में, पश्चिम प्रशांत महासागर के ऊपर पूर्व की ओर वर्षा होती है और फिर अंत में मध्य प्रशांत में समाप्त हो जाती है।
मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन का भारतीय मानसून पर प्रभाव:
- हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD), अल-नीनो और मैडेन-जूलियन दोलन (MJO) सभी समुद्री और वायुमंडलीय घटनाएं हैं जो बड़े पैमाने पर मौसम को प्रभावित करती हैं।
- IOD और El Nino अपनी पूर्व स्थिति में बने हुए हैं, जबकि MJO एक सतत भौतिक घटना है।
- जब यह मानसून के दौरान हिंद-महासागर के ऊपर होता है, तो संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में अच्छी वर्षा होती है। दूसरी ओर, जब यह एक लंबे चक्र की समयावधि के रूप में होता है, और प्रशांत महासागर के ऊपर रहता है तब भारतीय मानसूनी मौसम में वर्षा की मरता कम होती है। यह उष्णकटिबंध में अत्यधिक परंतु दमित स्वरूप के साथ वर्षा की गतिविधियों को संपादित करता है, जो कि भारतीय मानसूनी वर्षा के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है।
एमजेओ का विश्व के मौसम पर प्रभाव:
- MJO के कई तरीके विश्व में मौसम को प्रभावित करते हैं. जैसे कि उष्णकटिबंधीय चक्रवात के लिए MJO अनुकूल परिस्थितीयों का निर्माण करता है।
- मानसून के आगमन पर MJO का नियंत्रण होता है। इसका प्रभाव El Nino Southern Oscillation (ENSO) पर भी पड़ता है।
- MJO अल नीनो और ला नीना की उत्पत्ति और इनकी तीव्रता को बढ़ाने में मदद करता है।