कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP)
न्यू इंडिया एश्योरेंस (NA) वैश्विक भागीदारी के साथ कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) का बीमा करने के लिए तैयार है ।
न्यू इंडिया एश्योरेंस (NA) जल्द ही कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) की इकाई तीन और चार के लिए प्रॉपर्टी कवर (बीमा) की प्रक्रिया संपन्न करेगा यह परमाणु ऊर्जा संयंत्र तमिलनाडु में स्थित है।
एक परमाणु संयंत्र में दो प्रकार के बीमा कवर होते हैं:
- प्रॉपर्टी कवर और लायबिलिटी कवर भारत में किसी परमाणु संयंत्र के लिए लायबिलिटी कवर हमेशा इंडियन नूक्लीअर इंश्योरेंस पूल (INIP) द्वारा कवर किया जाता है। इसे सामान्य बीमाकर्ताओं ने गठित किया है।
- इसका प्रबंधन राज्य के स्वामित्व वाले जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (GIC) के हाथों में है। INIP, नाभिकीय क्षति के लिए असैन्य दायित्व अधिनियम, 2010 (या CLND अधिनियम) के तहत निर्धारित दायित्व को कवर करने के लिए बीमा प्रदान करता है।
- CLND अधिनियम को नाभिकीय दुर्घटना होने पर जल-से-जल्द मुआवजा प्रदान करने की दृष्टि से कानूनी रूप दिया गया था। इसके तहत एक नो-फॉल्ट लायबिलिटी व्यवस्था के माध्यम से नाभिकीय दुर्घटना के कारण हुए नुकसान के लिए पीड़ितों को तत्काल मुआवजा प्रदान किया जाता है।
- इस अधिनियम ने भारत को नाभिकीय दुर्घटना के लिए पूरक मुआवजे पर अभिसमय (CSC) में एक पक्षकार के तौर पर शामिल होने की सुविधा प्रदान की।
CLND अधिनियम की मुख्य विशेषताएं:
- यह अनन्य क्षेत्राधिकार क्षमता (Exclusive jurisdictional competence) को परिभाषित करने और मुआवजा प्रदान करने के लिए एक तंत्र है।
- यह नाभिकीय दुर्घटना होने पर दायित्व को ऑपरेटर पर हस्तांतरित करता है।
- यहाँ ऑपरेटर का अर्थ है- केंद्र सरकार या उसके द्वारा स्थापित कोई प्राधिकरण या निगम या कोई सरकारी कंपनी, जिसे परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के अनुसार लाइसेंस प्रदान किया गया है
- हालांकि, यह कुल मुआवजा राशि और समय के मामले में ऑपरेटर की देयता को सीमित करता है।
- यह वित्तीय सुरक्षा या बीमा के माध्यम से ऑपरेटर द्वारा अनिवार्य कवरेज सुनिश्चित करता है।
नाभिकीय दुर्घटना के लिए पूरक मुआवजे पर अभिसमय (Convention on Supplementary Compensation for Nuclear Damage: CSC) के बारे में
- CSC की स्थापना वर्ष 1997 में की गयी थी। यह नाभिकीय दुर्घटना होने की स्थिति में पीड़ितों को उपलब्ध मुआवजे की राशि को बढ़ाने के लिए एक विश्वव्यापी लायबिलिटी व्यवस्था स्थापित करता है।
- इसके तहत, कोई देश जो वर्ष 1983 के नागरिक दायित्व पर वियना अभिसमय या परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में थर्ड पार्टी के दायित्व पर वर्ष 1980 के पेरिस अभिसमय का एक पक्षकार है,CSC का एक पक्षकार बन सकता है।
- कोई देश जो इन अभिसमयों में से किसी का भी पक्षकार नहीं है, वह CSC का एक पक्षकार तभी बन सकता है जब उसने परमाणु दायित्व पर अपने राष्ट्रीय कानून में CSC और उसके एनेक्स के प्रावधानों को शामिल किया हो।
- भारत ने वर्ष 2010 में CLND अधिनियम के आधार पर CSC पर हस्ताक्षर किए, क्योंकि भारत वियना या पेरिस अभिसमय का पक्षकार नहीं है।
स्रोत –द हिन्दू