कृष्णा नदी विवाद
हाल ही में उच्चतम न्यायालय (SC) ने संबंधित राज्यों से कृष्णा नदी के जल बंटवारे के विवाद को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने के लिए कहा है।
- कृष्णा नदी के जल आवंटन से जुड़े विवाद में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्य शामिल हैं।SC ने इन राज्यों से विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान की संभावनाओं पर विचार करने के लिए कहा है।
- कृष्णा पूर्व की ओर बहने वाली एक नदी है। यह महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से निकलती है। यह नदी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है। अंत में यह बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है
- यह अपनी सहायक नदियों के साथ, एक विशाल बेसिन निर्मित करती है। इसके बेसिन में चार राज्यों के कुल क्षेत्रफल का 33 प्रतिशत भाग शामिल है।
- कृष्णा जल बंटवारे को लेकर कई दशकों से विवाद चल रहा है।
- वर्ष 1989 में कृष्णा जल विवाद अधिकरण (KWDT) की स्थापना की गई थी। इसे अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम (RWD एक्ट). 1956 के तहत स्थापित किया गया था। बाद में, राज्यों के बीच नई शिकायतें सामने आने लगी थीं।
- इसलिए, वर्ष 2004 में दूसरे कृष्णा जल विवाद अधिकरण (KWDT) की स्थापना की गई थी। अधिकरण का कार्यकाल वार्षिक आधार पर बढ़ाया जाता रहा है। वर्तमान में, अधिकरण नवनिर्मित तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों से संबंधित मामलों पर विवादों की सुनवाई कर रहा है।
- इससे पहले, लोकसभा ने अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी प्रदान की है।
इसमें निम्नलिखित प्रावधान किये गए हैं:
- विवाद को अधिकरण में भेजने से पहले विवाद समाधान समिति को भेजा जाए।
- कई पीठों के साथ एक एकल अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिकरण की स्थापना की जाए।
स्रोत –द हिन्दू