भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा कोणार्क सूर्य मंदिर के संरक्षण का कार्य किया जा रहा है।
कोणार्क का सूर्य मंदिर के विषय मे –
- बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर भगवान सूर्य के रथ का एक विशाल प्रतिरूप है।
- यह मंदिर ओडिशा के पुरी ज़िले में स्थित है। 12 जोड़ी सूक्ष्म अलंकृरण से युक्त पहियों वाले इस रथ को सात घोड़े खींच रहे हैं।
- इसका निर्माण13 वीं शताब्दी में गंग वंश के महान शासक राजा नरसिम्हदेव प्रथम द्वारा कराया गया था।
- ओडिशा स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर को यूनेस्को (UNESCO) ने वर्ष 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था ,भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) इस मंदिर का संरक्षक है।
- यह मंदिर भारत के राष्ट्रीय फ्रेमवर्क के तहत , प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम(AMASR), 1958 तथा इसके नियमों (1959) द्वारा संरक्षित है।
- कोणार्क सूर्य मंदिर, कलिंग वास्तुकला, विरासत, और विशिष्ट प्राकृतिक सुंदरता का एक आदर्श मिश्रण है।
- कोणार्क, ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज(golden tringle) की तीसरी कड़ी है। इस स्वर्ण त्रिभुज की पहली कड़ी, जगन्नाथ पुरी तथा दूसरी कड़ी, भुवनेश्वर है।
- गहरे रंग के कारण इस मंदिर को ‘ब्लैक पैगोडा’ के नाम से भी जाना जाता है (पुरी के जगन्नाथ मंदिर को “सफेद पैगोडा” कहा जाता है)।
- इसका उपयोग ओडिशा के प्राचीन नाविकों द्वारा नौवहन स्थल के रूप में किया जाता था।
- यह एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है, यहाँ हर साल फरवरी माह मे चंद्रभागा मेले का आयोजन किया जाता हैं।
स्रोत – पीआईबी