काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व को आक्रामक पादपों की प्रजातियों के नए खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
एक आक्रामक प्रजाति एक ऐसा जीव/पादप होता है, जो उस नए वातावरण में पारिस्थितिक या आर्थिक नुकसान का कारण बनता है, जहां का वह देशज (नेटिव) जीव/पादप नहीं है।
इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
- पार्थेनियम प्रजाति 1950 के दशक में अमेरिका से आयातित गेहूं के माध्यम से भारत आयी थी।
- लैंटाना दक्षिण अमेरिका से सजावटी पौधे के रूप में ब्रिटिश द्वारा लाया गया था।
- उपर्युक्त दोनों प्रजातियां भारत के 40% से अधिक टाइगर रिज़र्व के लिए खतरा पैदा कर रही हैं।
- काजीरंगा के फील्ड डायरेक्टर ने 18 आक्रामक पादपों की एक सूची सौंपी है। ये पादप देशज घास, झाड़ियों और वृक्षों के लिए खतरा उत्पन्न करते हुए भू-परिदृश्य (लैंडस्केप) पर कब्जा कर रहे हैं।
- शाकाहारी जानवर आमतौर पर आक्रामक पादपों के सेवन से बचते हैं। ऐसे में ये पादप खतरनाक गति से पुनः उत्पन्न होते रहते हैं और देशज वनस्पतियों को सीमित करने के लिए खतरा पैदा करते रहते हैं।
भारत में कई आक्रामक प्रजातियों की पहचान की गयी है। ये निम्नलिखित हैं:
बॉम्बैक्स सेइबा, क्रेतेवा मैग्ना, ट्रेविया न्यूडिफ्लोरा, लेगरस्ट्रोमिया स्पिशियोसा, लेगरस्ट्रोमिया परविफ्लोरा, लिट्सिया सैलिसिफोलिया, सिक्यूरिनेगा इरोसा, रोजा इनवॉलुक्रेटा, पोमिया कैमिया, डर्स क्यूनिलोलिया, कैलमस टेनुइस, ली मैक्रोफिला आदि।
पहचानी गई प्रजातियों में हर्बल गुण भी हैं। ली मैक्रोफिला, सेस्ट्रम ड्यूनम आदि इसके उदाहरण हैं। हालांकि, इनकी विषाक्तता उनकी उपयोगिता से कहीं अधिक है।
वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत आक्रामक प्रजातियों को प्रायोगिक तौर पर समाप्त करने, काटने, छांटने, उखाड़ने और घेरने की अनुमति मांगी गई है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (KNP) के बारे में:
- असम में स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान में विश्व में एक सींग वाले गैंडों की सबसे बड़ी आबादी है।
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (1985)है ।
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक टाइगर रिज़र्व (2006) भी है।
स्रोत –द हिन्दू