शैवाल प्रस्फुटन
हाल ही में शैवाल प्रस्फुटन कबानी (या काबिनी) नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा बन गया है।
कबानी या कपिला नदी केरल के वायनाड जिले से निकलती है। यह पूर्व दिशा की ओर प्रवाहित होती है। यह कावेरी नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
शैवाल प्रस्फुटन या समुद्री प्रस्फुटन एक जलीय प्रणाली में शैवालों की संख्या में तीव्र वृद्धि को संदर्मित करता है।
शैवाल सूक्ष्मजीव होते हैं, जो जलीय निकायों में प्राकृतिक रूप से विकसित होते हैं। उनमें पौधों और जीवों दोनों की विशेषताएं होती हैं।
शैवाल प्रस्फुटन तब होता है, जब प्रचुर मात्रा में शैवाल विकास के लिए उपयुक्त पर्यावरणीय परिस्थितियों का संयोजन मौजूद होता है। इन परिस्थितियों में पोषक तत्वों में वृद्धि, उच्च तापमान, प्रचुर मात्रा में प्रकाश और स्थिर वायु की दशाएं शामिल हैं ।
शैवाल की हजारों प्रजातियां हैं। इनमें से अधिकांश लाभकारी होती हैं। इनमें से केवल कुछ ही विषाक्त पदार्थ उत्पन्न करने में सक्षम होती हैं या अन्य हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करती हैं।
स्रोत –द हिन्दू