संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (PDP) विधेयक, 2019 पर रिपोर्ट
हाल ही में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (PDP) विधेयक, 2019 पर रिपोर्ट स्वीकार की है।
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक का उद्देश्य व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षा प्रदान करना है। साथ ही, इस उद्देश्य के लिए निजता के अधिकार को कानूनी आकार देने के उच्चतम न्यायालय के वर्ष 2017 के आदेश के बाद डेटा संरक्षण प्राधिकरण स्थापित करना है।
कानून के कई प्रावधानों को लेकर सांसदों में मतभेद के बाद विधेयक को JPC को प्रेषित कर दिया गया था।
मुख्य सिफारिशें
- सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्स, जो मध्यस्थों के रूप में कार्य नहीं करते हैं, उन्हें प्रकाशकों के रूप में माना जाना चाहिए। साथ ही, उनके द्वारा होस्ट किए जाने वाले कंटेंट के लिए उन्हें उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए।
- किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तब तक संचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि उसकी प्रौद्योगिकी को नियंत्रित करने वाली मूल कंपनी भारत में एक कार्यालय स्थापित नहीं कर लेती।
- ऐसे सभी प्लेटफॉर्स पर कंटेंट के विनियमन के लिए भारतीय प्रेस परिषद की तर्ज पर वैधानिक मीडिया विनियामक प्राधिकरण स्थापित किया जा सकता है।
- समिति ने विवादास्पद अपवाद खंड का समर्थन किया है। यह खंड केंद्र सरकार के तहत किसी भी एजेंसी को “लोक व्यवस्था”, “संप्रभुता”, “विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध” और “राज्य की सुरक्षा के आधार पर कानून के सभी या किसी भी प्रावधान से छूट” की अनुमति देता है।
- विपक्ष ने असहमति प्रकट की है, क्योंकि यह सरकार को अप्रतिबंधित शक्तियां प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, विपक्ष ने विधेयक के तहत प्रदान की गई सभी छूटों केसंसदीय पर्यवेक्षण की भी मांग की है।
स्रोत –द हिन्दू