झारखंड में खुली खदानों के ढहने से बढती मौतें
हाल ही में धनबाद (झारखंड) में अवैध खनन के दौरान एक खुली कोयला खदान के ढहने से कई लोगों की मौत हो गई, और कई लोग अंदर फंस गए।
खुली खदानों में खनन (ओपन कास्ट माइनिंग) एक सतही खनन तकनीक है। इसमें जमीन में एक खुले गढ्ढे से खनिज निकाला जाता है।
इस तकनीक का उपयोग तब किया जाता है, जब खनिज, पृथ्वी की सतह के निकट होता है।
निम्नलिखित कारणों से यह खनन का सबसे कुशल और किफायती तरीका है:
- उत्पादन और निष्कर्षण दर अधिक है,
- उत्पादन की लागत कम है,
- कम अवधि में ही उत्पादन शुरू किया जा सकता है,
- यह पूरी तरह से मशीनीकृत प्रक्रिया है आदि।
खुली खदानों में खनन से जुड़ी चिंताएं:
- खदान के ऊपर की सामग्री को अक्सर वही छोड दिया जाता है जहां से उन्हें निकाला जाता है। समय के साथ यह भूमि के धंसने और ढहने का कारण बनती है, जिससे खनिकों की मृत्यु हो जाती है।
- बंद और छोड़ दिए गए खदान स्थलों में फिर से कोई सुधार नहीं किया जाता है।
- ये जल प्रदूषण का कारण बनती हैं। इन खदानों से निकलने वाला दूषित जल, अन्य जल निकायों में चला जाता है या रिसकर भूमिगत जल में मिल जाता है।
- कोयला खदानों द्वारा उत्पादित मीथेन, धूल आदि के कारण वायु प्रदूषण भी होता है।
किए गए उपाय
- वर्ष 2017 में खनिज संरक्षण और विकास नियमों में संशोधन किया गया था। संशोधन द्वारा अनिवार्य स्टार रेटिंग शुरू की गयी थी। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक और कुशल खनन सुनिश्चित करना था।
- खान अधिनियम 1952, खान नियम-1955, कोयला खदान विनियमन-1967 आदि कानून एवं नियम बनाए गए हैं।
स्रोत –द हिन्दू