जम्मू-कश्मीर का चुनावी मानचित्र फिर से तैयार
हाल ही में परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर का चुनावी मानचित्र फिर से तैयार किया है ।
मौजूदा प्रारूप परिसीमन कार्य पत्र, परिसीमन आयोग द्वारा साझा किए गए प्रस्तावों का दूसरा सेट है। प्रस्तावों के पहले सेट को क्षेत्रीय दलों ने अस्वीकार कर दिया था।
मौजूदा कार्य पत्र में निम्नलिखित सिफारिशें की गयी हैं:
- पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटों और अनुसूचित जातियों के लिए सात सीटों को आरक्षित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- कुछ जिलों में एक अतिरिक्त निर्वाचन क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव किया गया है। यह प्रस्ताव अपर्याप्त संचार सुविधा वाले भौगोलिक क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व को संतुलित करने के लिए दिया गया है।
- लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने का प्रस्ताव किया गया है।
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया
- वर्ष 2019 तक, जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का कार्य देश के शेष हिस्सों से अलग रहा था।
- जम्मू-कश्मीर में लोकसभा सीटों का परिसीमन भारत के संविधान द्वारा शासित था। इसके विपरीत, राज्य की विधानसभा सीटों का परिसीमन जम्मू और कश्मीर के संविधान द्वारा शासित था।
- वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद नवगठित जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में लोक सभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए परिसीमन आयोग की स्थापना की गई थी। यह परिसीमन भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा।
परिसीमन के बारे में
- संविधान के अनुच्छेद 327 के अनुसार परिसीमन किसी विधानसभा या लोकसभा सीट की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने का कार्य है। यह उस निर्वाचन क्षेत्र में समय के साथ जनसंख्या में हुए बदलाव को दर्शाने के लिए किया जाता है।
- यह कार्य एक परिसीमन आयोग द्वारा किया जाता है। इस आयोग के आदेश कानून के समान प्रभावी होते हैं। इस आदेश को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है (अनुच्छेद 329)।
स्रोत –द हिन्दू