Question – JAM त्रयी (ट्रिनिटी) से क्या आशय हैं? भारतीय अर्थव्यवस्था के किन क्षेत्रों के लिए JAM त्रयी लाभकारी हो सकता है? क्या यह वर्तमान सार्वजानिक वितरण प्रणाली की कमियों को दूर करने में सक्षम हो सकेगा? – 8 December 2021
उत्तर – JAM त्रयी (ट्रिनिटी) का अर्थ जन-धन, आधार और मोबाइल का संयोजन है। इसे लक्षित लाभार्थियों को सब्सिडी के प्रत्यक्ष अंतरण की प्रक्रिया में सरकार का सहयोग करने एवं बिचौलियों तथा क्षरण (इसकी चोरी) को समाप्त करने के लिए परिकल्पित किया गया है।
JAM हेतु महत्वपूर्ण तत्व:
आर्थिक सर्वेक्षण JAM को तीन अवयवों में विभाजित करता है:
- पहचान या प्रथम-मील: सरकार द्वारा लाभार्थियों की पहचान। इस संदर्भ में आधार संख्या आधारभूत अवयव है। .
- अंतरण या मध्य-मील: सरकार द्वारा लाभार्थियों को निधि का अंतरण। इस संदर्भ में जन धन खाते आधारभूत अवयव हैं।
- पहुँच या अंतिम मील: लाभार्थियों तक निधियों की पहुँच। यहाँ मोबाइल कनेक्टिविटी आधारभूत अवयव है।
JAM को लागू करनाः
JAM को लागू करने योग्य सर्वाधिक अनुकूल प्रतीत होने वाले नीतिगत क्षेत्र वे हैं जहाँ (i) केंद्र सरकार का महत्वपूर्ण नियंत्रण है। (ii) जहाँ क्षरण (चोरी) की संभावनाएँ हैं अतः उन संभावनाओं को निरस्त कर बड़ी मात्रा में वित्तीय बचत की अधिक संभावनाएँ।
उदाहरण:
- गरीबी उन्मूलन योजनाएं: मनरेगा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना।
- स्वास्थ्य: राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा योजना।
- शिक्षा: छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान।
- सेवाएं: एलपीजी-पहल, प्रधानमंत्री आवास योजना, इंदिरा आवास योजना, उज्ज्वला योजना, उर्वरक, ग्रामीण विद्युतीकरण।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ: जन सुरक्षा योजना (अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना), राष्ट्रीय पेंशन योजना।
- कौशल आधारित योजनाएं: राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, स्टार्टअप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम, दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) ग्रामीण कौशल योजना।
- अधिकार आधारित: सुकन्या समृद्धि योजना, जननी सुरक्षा योजना, इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना।
इन सबके अलावा, JAM का उपयोग कार्यान्वयन के लिए किया जा सकता है यदि विभिन्न राज्य स्तरों पर विभिन्न राज्य स्तरीय कार्यक्रमों ने पहले मील, मध्य मील और अंतिम मील से संबंधित मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटा हो।
JAM और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस):
शांता कुमार समिति की सिफारिशों के अनुसार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से संबंधित क्षरण (चोरी) सभी अनाज की वितरण योग्य मात्रा का 45% है। इस प्रकार जेएएम त्रयी (ट्रिनिटी) प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण के विकल्प के रूप में उपयोगी पाया गया है।
यहाँ तक कि JAM से पूर्व ही, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कम्प्यूटरीकरण, ट्रकों पर जीपीएस टैगिंग, सामाजिक लेखा-परीक्षा, और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र जैसे हस्तक्षेपों के माध्यम से प्रभावी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) सुनिश्चित की जा चुकी है। JAM आधारित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) को भविष्य में निश्चित रूप से वास्तविकता में परिणत होते देखा जा सकता है। वर्तमान समय में JAM-DBT को लागू करने के लिए पर्याप्त तैयारी करने के उद्देश्य से अवसंरचनागत और संस्थागत सुधारों पर अनिवार्य रूप से जोर दिया जाना चाहिए। यद्यिप साथ ही साथ पारंपरिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने के लिए भी सुधार किए जाने चाहिए।