इटली अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल
- इटली ने 17 मार्च‚ 2021 को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के तहत संशोधित फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते पर भारत में इटली के राजदूत विनसेंजो डी लूका ने हस्ताक्षर किए।
- साथ ही अजय माथुरको अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के अगले महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है ।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का नेतृत्व महानिदेशक द्वारा किया जाता है, जो आईएसए सचिवालय के कार्यों का संचालन करता है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन(International Solar Alliance – ISA)
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधनकी स्थापना के शुभारंभ की घोषणा भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रांस्वा ओलान्द द्वारा 30 नवंबर 2015 को पेरिस में , संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के 21 वें सत्र (COP21) के दौरान हुई ।
- 6 दिसम्बर, 2017 को ISA का फ्रेमवर्क समझौता लागू हुआ और यह संधि पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन के तौर पर औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया। यह संगठन आपसी समझौते पर आधारित है।
- यह गठबंधन (आईएसए) कर्क रेखा और मकर रेखा के मध्य मे स्थित सौर-संसाधन संपन्न देशों का गठबंधन है।
- इसकाउद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर ऊर्जा की निर्भरता को न्यून कर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है।
- सौर संघ का प्रमुख लक्ष्य विश्व-भर में 1,000 गीगा वॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन करना एवं इसके लिए 2030 तक सौर ऊर्जा में 1,000 बिलियन डॉलर के निवेश का प्रबंध करना है।
- इसके अतिरिक्त गठबंधन के सदस्य देशों को सस्ती दरों पर सोलर टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराना व इस क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास (R & D) को बढ़ावा देना भी इसका एक प्रमुख उद्देश्य है।
- वर्तमान में 122 देश इसके सदस्य हैं और 87 देशों ने आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें से 67 ने अनुसमर्थन पत्र भी जमा कर दिये हैं।
- इसका मुख्यालय भारत गुरुग्राम में है।
भारत के लिए महत्त्व
- ज्ञात हो कि भारत ने 2022 तक 175 गीगा वाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है, जिसमे से 100 गीगा वाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है । इसके अतिरिक्त 2030 तक कुल ऊर्जा उत्पादन का 40% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना है।
- इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से प्राप्त निवेश , तकनीक तथा सहयोग महत्त्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
- इससे ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी। परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होगी । इको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा।
स्रोत – पीआइबी