नासा–इसरो का निसार मिशन (NASA-ISRO –NISAR Mission)
हाल ही में पृथ्वी के वैज्ञानिक अध्ययन हेतु ‘नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह’(NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar satellite -NISAR) अर्थात ‘निसार’ नामक एक उपग्रह मिशन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन’(National Aeronautics and Space Administration -NASA) द्वारा अन्तरिक्ष में भेजा जा रहा है।
‘निसार’ मिशन के वर्ष 2023 में लॉन्च होने की संभावना है।
‘निसार’ के बारे में:
- ‘निसार उपग्रह’ खतरों और वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन का अध्ययन करेगा, साथ ही यह प्राकृतिक संसाधनों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में भी मदद कर सकता है।
- यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और इसकी गति को सही ढंग से समझने के लिए वैज्ञानिकों को डेटा उपलब्ध कराएगा है।
- इस उपग्रह का कार्यकाल तीन-वर्षों का होगा, इस दौरान मिशन प्रत्येक 12 दिनों में पूरे ग्लोब की बारीकी से जांच करेगा।
- इस दौरान यह पृथ्वी पर बर्फ और समुद्री बर्फ की चित्रण कर ग्रह का एक ‘अभूतपूर्व’ दृश्य प्रदान करेगा।
- इस उपग्रह के लिए नासा द्वारा रडार, विज्ञान आंकड़ो हेतु हाई-रेट कम्युनिकेशन सब-सिस्टम, जीपीएस रिसीवर और एक पेलोड डेटा सबसिस्टम प्रदान किये जाएंगे।
- साथ ही इसके लिए स्पेसक्राफ्ट बस, दूसरे प्रकार के राडार (S- बैंड रडार), प्रक्षेपण यान और प्रक्षेपण संबंधी सेवाएं इसरों (ISRO) द्वारा प्रदान की जाएंगी।
- NISAR उपग्रह में नासा द्वारा अभी तक लॉन्च किया गया सबसे बड़ा रिफ्लेक्टर एंटीना लगाया जाएगा, और इसका मुख्य उद्देश्य, पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों पर नज़र रखना, ज्वालामुखी विस्फोट होने बारे में चेतावनी संकेत भेजना, भूजल आपूर्ति निगरानी में मदद करना और बर्फ की चादरों के पिघलने की ‘दर’ का पता लगाना है।
‘सिंथेटिक एपर्चर रडार’ (SAR)
- निसार (NISAR), ‘नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार’ (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar satellite -SAR) का संक्षिप्त रूप है। नासा द्वारा ‘सिंथेटिक एपर्चर रडार’ का उपयोग पृथ्वी की सतह में होने वाले परिवर्तन को मापने हेतु किया जाएगा।
- सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR), मुख्यतः उच्च विभेदन छवियां (High-Resolution Images) खीचने की तकनीक को संदर्भित करता है। उच्च सटीकता के कारण, यह रडार, घने बादलों और अंधेरे को भी भेद सकता है, अर्थात यह किसी भी मौसम में 24 घंटे आंकड़े एकत्र करने में सक्षम है।
स्रोत –द हिन्दू