अंतर–संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली (ICJS) परियोजना को मंजूरी
हाल ही में सरकार ने “अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली” (ICJS) परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी है ।
अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली (Interoperable Criminal Justice System: ICJS) परियोजना केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। गृह मंत्रालय ने इस परियोजना के दूसरे चरण के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है। यह चरण वर्ष 2022-23 से वर्ष 2025-26 तक की अवधि हेतु लागू रहेगा।
यह परियोजना उच्चतम न्यायालय की ई-समिति की एक पहल है। यह आपराधिक न्याय प्रणाली के अलग-अलग तंत्रों के बीच डेटा और सूचना के निर्बाध अंतरण को सक्षम करती है।
ICJS परियोजना एक राष्ट्रीय मंच है। यह मंच देश में आपराधिक न्याय प्रदान करने के लिए प्रयुक्त सूचना प्रौद्योगिकी प्रणालियों के एकीकरण को सक्षम करता है। इस मंच का उपयोग निम्नलिखित पांच स्तंभों के माध्यम से देश में आपराधिक न्याय को लागू करने के लिए किया जाता है
- पुलिस (अपराध और आपराधिक निगरानी एवं नेटवर्क प्रणाली),
- ई-फोरेंसिक,
- ई-न्यायालय,
- लोक अभियोजकों के लिए ई-अभियोजन तथा
- ई-जेल।
परियोजना के दूसरे चरण का ढांचा “एक डेटा एक प्रविष्टि” (one data one entry) के सिद्धांत पर बनाया गया है। इसके तहत एक स्तंभ में केवल एक बार डेटा दर्ज किया जाता है। बाद में वह अन्य सभी स्तंभों में उपलब्ध होता है।
प्रथम चरण के तहत, व्यक्तिगत आईटी प्रणालियों को कार्यान्वित और स्थिर बनाया गया था। इसमें रिकॉर्ड्स की खोज को सक्षम किया गया था।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB), राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग से परियोजना के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा। इसके लिए वह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का सहयोग भी लेगा।
परियोजना का महत्व
- यह परियोजना न्याय वितरण प्रणाली को त्वरित और पारदर्शी बनाएगी।
- यह स्मार्ट पुलिसिंग को मजबूत करेगी। इसमें नागरिकों, जांच एजेंसियों और नीति निर्माताओं को सशक्त बनाना शामिल है।
उच्चतम न्यायालय की ई–समिति के बारे
- ई-समिति, ई-न्यायालय परियोजना की देखरेख करने वाला शासी निकाय है। इसकी संकल्पना भारतीय न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना-2005 के तहत की गयी है।
- ई-न्यायालय ICT सक्षम न्यायालयों द्वारा देश की न्यायिक प्रणाली के रूपांतरण के लिए एक अखिल भारतीय परियोजना है।
स्रोत –द हिन्दू