अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (IYM) 2023
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (IYM) 2023 का प्री-लॉन्च समारोह आयोजित किया गया है।
IYM 2023 के प्री-लॉन्च समारोह में 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया है।
इस समारोह का उद्देश्य मिलेट्स (मोटे अनाज) के बारे में जागरूकता फैलाना और IYM 2023 के लिए अन्य देशों को अभियान से जोड़ना था ।
वर्ष 2018 में, भारत ने 2023 को IYM के रूप में घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया था ।
मिलेट्स के बारे में:
ये छोटे बीज वाली वार्षिक घासों के समूह हैं। इन्हें अनाज के रूप में उगाया जाता है ।
इन्हें समशीतोष्ण, उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के शुष्क भागों में अनुत्पादक भूमि (Marginal Land) पर उगाया जाता है।
भारत एशिया के 80% और विश्व के 20% मिलेट्स का उत्पादन करता है।
भारत में प्रमुख मिलेट्स हैं: पर्ल मिलेट (बाजरा), ज्वार (सोरघम) और फिंगर मिलेट (मंडुआ / रागी) । इनमें पर्ल मिलेट (बाजरा) की हिस्सेदारी सर्वाधिक है।
प्रमुख उत्पादक राज्य हैं: राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक |
मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए पहलें : वर्ष 2018 को राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया गया था ।
मिलेट्स को पौष्टिक अनाज के रूप में अधिसूचित किया गया है। साथ ही, इसे पोषण मिशन अभियान के तहत शामिल किया गया है।
मिलेट्स का महत्व: मिलेट्स को सुपरफूड माना जाता है। सुपरफूड ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें पोषण घनत्व काफी अधिक होता है।
इनके उत्पादन के लिए उच्च गुणवत्ता वाली मृदा की आवश्यकता नहीं होती है। ये सूखे को सहन कर सकती हैं। फसल विकास अवधि भी छोटी होती है ।
इनमें कार्बन प्रच्छादन (carbon sequestration) की क्षमता भी होती है। ये जलवायु अनुकूलन में भी सहायक हैं।
कार्बन प्रच्छादन- इसके तहत कार्बन को वातावरण से हटा कर उसे ठोस अथवा द्रव रूप में संग्रहित किया जाता है ।
स्रोत – द हिन्दू