भारत अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का पूर्णकालिक सदस्य

भारत अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का पूर्णकालिक सदस्य

हाल ही में भारत को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का पूर्णकालिक सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया गया है।

यह आमंत्रण भारत-IEA रणनीतिक साझेदारी का स्वाभाविक परिणाम है। इस साझेदारी को जनवरी 2021 में वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और संधारणीयता में परस्पर सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए हस्ताक्षरित किया गया था।

  • IEA का सदस्य बनने के लिए, किसी देश को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development: OECD) का सदस्य होना अनिवार्य है। साथ ही, उसे 5 अन्य मानदंडों को भी पूरा करना होता है।
  • पेरिस स्थित IEA को वर्ष 1973-74 के तेल संकट के विरुद्ध प्रतिक्रिया के रूप में स्थापित किया गया था।
  • यह निकाय कर्जा पर वैश्विक संवाद का केंद्र है। यह विभिन्न विश्लेषण व अनुशंसाएं प्रदान करता है, जिससे देशों को सभी के लिए सुरक्षित और संधारणीय ऊर्जा प्रदान करनेमें सहायता मिलती है।
  • इसके द्वारा वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक, ऑयल मार्केट रिपोर्ट्स आदि का प्रकाशन किया जाता है। वर्ष 2017 में, भारत एक एसोसिएट सदस्य के रूप में इसमें शामिल हुआ था।

IEA की पूर्ण सदस्यता के लाभ

  • इससे भारत को उसके कच्चे तेल के भंडार की रणनीतिक गहनता को अधिकतम करने में सहायता प्राप्त होगी। इसके अतिरिक्त, इससे विशेष रूप से स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी सहायता प्राप्त होगी, जलवायु और ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर अग्रणी भूमिका के निर्वहन हेतु एक भू-राजनीतिक मंच प्राप्त होगा आदि।
  • इस संगठन में भारत के प्रवेश से वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा तंत्र को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, यह पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (Organization of the Petroleum Exporting Countries: OPEC)-प्लस के साथ भारत की संव्यवहार क्षमता को भी बल प्रदान करेगा।

5 मानदंड

  1. कच्चे तेल और/या उत्पाद भंडार का विगत वर्ष के निवल आयात के 90 दिनों के बराबर उपलब्ध होना, जिस तक सरकार की तत्काल पहुंच हो (भले ही यह प्रत्यक्ष रूप से उसके स्वामित्व में न हो)। साथ ही, उसका उपयोग वैश्विक तेल आपूर्ति में व्यवधानों से निपटने हेतु किया जा सकता हो।
  2. राष्ट्रीय तेल की खपत को 10% तक कम करने के लिए एक मांग नियंत्रण कार्यक्रम होना चाहिए।
  3. राष्ट्रीय आधार पर समन्वित आपातकालीन प्रतिक्रिया उपाय (Coordinated Emergency Response Measures: CERM) संचालित करने के लिए विधान और संगठन होना चाहिए।
  4. यह सुनिश्चित करने के लिए कानूनों और उपायों का प्रवर्तित होना आवश्यक है कि उसके अधिकार क्षेत्र के तहत सभी तेल कंपनियां अनुरोध पर जानकारी प्रदान करें।
  5. IEA सामूहिक कार्रवाई में अपना योगदान करने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिएउपाय करना।

स्रोत –द हिन्दू

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