अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता
भारत विदेश में देवास से संबंधित मध्यस्थता मामलों का सामना करने के लिए उच्चतम न्यायालय (SC) के आदेश का उपयोग करेगा ।
- कुछ समय पहले राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण (NCLAT) ने देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड को समाप्त करने का आदेश दिया था। उच्चतम न्यायालय ने अपने हालिया निर्णय में इस आदेश को बरकरार रखा है।
- इससे पहले, वर्ष 2005 के देवास के साथ एक समझौते के तहत इसरो की वाणिज्यिक शाखा ‘एंट्रिक्स’ ने दो उपग्रहों के निर्माण, प्रक्षेपण और संचालन के लिए सहमति व्यक्त की थी। साथ ही, उपग्रह की ट्रांसपोंडर क्षमता का 90% देवास को लीज़ पर दिया था। हालांकि, सरकार ने सुरक्षा चिंताओं के कारण वर्ष 2011 में इस सौदे को रद्द कर दिया था।
- देवास ने इंटरनेशनल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (ICC), भारत जर्मनी द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) और भारत मॉरीशस बी.आई.टी सहित कई अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता मंचों पर इस निर्णय को चुनौती दी थी।
- भारत को इन तीनों विवादों में हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भारत को कुल 2 बिलियन अमेरिकीडॉलर के हर्जाने का भुगतान करना पड़ा था।
अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के बारे में
- यह अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक और व्यावसायिक विवादों के निपटान का एक साधन है। इसका उद्देश्य मध्यस्थों के माध्यम से व्यापार और निवेश को समर्थन प्रदान करना है।
- मध्यस्थता में, विवाद में शामिल पक्ष अदालत जाने की बजाय एक निजी विवाद समाधान प्रक्रिया का विकल्प चुनते हैं।
इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:
- मध्यस्थता आपसी सहमति है। मध्यस्थों का चयन पक्षकारों द्वारा किया जाता है।
- मध्यस्थता तटस्थ होती है, मध्यस्थता एक गोपनीय प्रक्रिया है। मध्यस्थ न्यायाधिकरण का निर्णय अंतिम और लागू करने में आसान होता है।
- विदेशी मध्यस्थता निर्णयों की मान्यता और प्रवर्तन पर कन्वेंशन 1958 (न्यूयॉर्क कन्वेंशन) और BIT के माध्यम से मध्यस्थता निर्णय अधिक व्यापक एवं आसानी से लागू किया जाता है ।
भारत में मध्यस्थता
- यह माध्यस्थम और सुलह अधिनियम (Arbitration and ConciliationAct), 1996 द्वारा विनियमित है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता पर वर्ष 1985 के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग (UNCITRAL) के मॉडल कानून पर आधारित है।
- मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत भारतीय मध्यस्थता परिषद स्थापित की गई है। यह मध्यस्थता को बढ़ावा देने के लिए एक स्वतंत्र निकाय है।
स्रोत –द हिन्दू