हैदराबाद में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र
हाल ही में, भारत के मुख्य न्यायधीश ने हैदराबाद में ‘अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ (International Arbitration Centre) की नींव रखी।
इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता और मध्यस्थता केंद्र ट्रस्ट’ द्वारा प्रस्तावित किया गया था। IAMC -हैदराबाद ‘वैकल्पिक विवाद समाधान’ के लिए भारत का पहला मध्यस्थता केंद्र है।
‘मध्यस्थता’ क्या होती है?
- मध्यस्थता (Arbitration), एक वैकल्पिक विवाद समाधान (alternative dispute resolution- ADR) प्रक्रिया होती है, जिसमें एक या एक से अधिक मध्यस्थों के समक्ष, किसी समझौते से संबंधित पक्षकारों द्वारा समझौते से संबंधित विवाद पेश किए जाते है। विवाद पर इन मध्यस्थों का निर्णय संबंधित पक्षकारों के लिए बाध्यकारी होता है।
- मध्यस्थता को पक्षकारों द्वारा ‘निजी विवाद समाधान प्रक्रिया’ द्वारा अदालत जाने के बजाय एक विकल्प के रूप में चुना जाता है।
समझौता के बारे में:
- सुलह (Conciliation), भी एक वैकल्पिक विवाद समाधान उपाय है, जिसके तहत, पक्षकार ‘सुलहकर्ता’ की सहायता से एक सौहार्दपूर्ण विवाद समाधान तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। ‘सुलहकर्ता’ एक तटस्थ तीसरे पक्ष के रूप में कार्य करता है।
- यह एक स्वैच्छिक कार्यवाही है, जिसमें शामिल पक्ष सहमत होने के लिए स्वतंत्र होते हैं और सुलह द्वारा अपने विवाद को सुलझाने का प्रयास करते हैं।
स्रोत – द हिंदू