वनाग्नि का बढ़ता दायरा
एक अध्ययन के अनुसार पता चला है कि पिछले दो दशकों में वनाग्नि की घटनाओं और तीव्रता में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है।
विदित हो कि हाल ही में ‘ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद’ (CEEW) ने ‘मैनेजिंग फॉरेस्ट फायर्स इन चेंजिंग क्लाइमेट’ नाम से एक अध्ययन रिपोर्ट जारी की है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
- देश के 75% से अधिक भारतीय जिले चरम जलवायु संबंधी घटनाओं वाले हॉटस्पॉट हैं। वहीं 30% जिले चरम वनाग्नि के लिए हॉटस्पॉट हैं।
- पिछले दो दशकों में वनाग्नि की घटनाओं में 10 गुना वृद्धि हुई है।
- ग्लोबल साउथ (वैश्विक दक्षिण) देशों में भारत वनाग्नि के संदर्भ में दूसरा सबसे सुभेद्य देश है।
- पिछले दो दशकों के दौरान मिजोरम में सबसे अधिक वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
- वनाग्नि के मामले में 89% चरम हॉटस्पॉट जिले मुख्यतः सूखे से ग्रसित हॉटस्पॉट क्षेत्रों में स्थित हैं
- तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़,ओडिशा और महाराष्ट्र उच्च तीव्रता वाली वनाग्नि की घटनाओं के लिए सर्वाधिक संवेदनशील राज्य हैं।
- हाल ही में, राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में लगी आग बेमौसम थी। साथ ही, उच्च तापमान के कारण आग और तेजी से फैल गयी।
प्रमुख सिफारिशें:
- वनाग्नि को आपदा के एक प्रकार के रूप में मान्यता देने की जरूरत है। साथ ही, इसे राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीय और स्थानीय आपदा प्रबंधन योजनाओं में एकीकृत करने की भी आवश्यकता है।
- वनाग्नि से संबंधित एक चेतावनी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है। यह रियल टाइम प्रभाव आधारित चेतावनी जारी करेगा।अनुकूलन क्षमता में वृद्धि की जानी चाहिए।स्वच्छ वायु से युक्त आश्रय स्थल बनाए जाने चाहिए।
स्रोत –द हिन्दू