INS वाग्शीर, प्रोजेक्ट 75
हाल ही में, प्रोजेक्ट-75 के तहत निर्मित छठी स्कॉर्पीन पनडुब्बी वाग्शीर का समुद्री परीक्षण शुरू किया गया है।
यह पनडुब्बी अब समुद्र में अपनी सभी प्रणालियों के गहन परीक्षणों से गुजरेगी, इनमें प्रणोदन प्रणाली, हथियार और सेंसर परीक्षण सम्मिलित हैं।
INS वाग्शीर
INS वाग्शीर का नाम हिंद महासागर में पाई जाने वाली एक शिकारी सैंड फिश के नाम पर रखा गया है।
इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा किया गया है।
इस पनडुब्बी में पानी के नीचे या सतह पर टारपीडो के साथ-साथ एंटी-शिप मिसाइलों के साथ दुश्मन पर हमला करने की क्षमता है।
इसमें उन्नत ध्वनिक अवशोषण तकनीकों की तरह बेहतर स्टील्थ विशेषताएं हैं।
यह बेहद कम आवाज करती है साथ ही छिपकर दुश्मन पर गाइडेड हथियारों के जरिए घातक आक्रमण करने में सक्षम है।
इस पनडुब्बी को परीक्षणों के पूरा होने के बाद वर्ष 2024 में भारतीय नौसेना में शामिल किया जायेगा।
इससे पहले रूस से प्राप्त पनडुब्बी वाग्शीर को वर्ष 1974 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया तथा 1997 में सेवामुक्त कर दिया गया।
प्रोजेक्ट 75
प्रोजेक्ट-75 के अंतर्गत स्कॉर्पीन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का स्वदेशी रूप से निर्माण शामिल है।
प्रोजेक्ट 75 के तहत निर्मित पनडुब्बियाँ हथियारों, आधुनिक सेंसरों, ईंधन सेल पर आधारित एक एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन प्लांट तथा आधुनिक मिसाइलों से सुसज्जित होंगी।
इन पनडुब्बियों का निर्माण मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट-75 के तहत, पहली पनडुब्बी INS कलवरी को दिसंबर 2017 में, दूसरी पनडुब्बी INS खंडेरी को सितंबर 2019 में, तीसरी पनडुब्बी INS करंज को मार्च 2021 में, चौथी INS वेला को नवंबर 2021 में तथा पांचवीं पनडुब्बी INS वागीर को जनवरी 2023 में सेवा में शामिल कर लिया गया है।
स्रोत – पी.आई.बी.