एग्रीस्टैक भारत में कृषि के लिए बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण को सक्षम बनाते हुए

Question – एग्रीस्टैक भारत में कृषि के लिए बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण को सक्षम बनाते हुए, ‘अभिनव कृषि-केंद्रित समाधानहेतु एक नींव के रूप में काम कर सकता है। टिप्पणी कीजिए।  साथ ही, इससे सम्बद्ध चिंताओं का भी उल्लेख कीजिए। 5 March 2022

Answerएग्रीस्टैक प्रौद्योगिकियों, और डिजिटल डेटाबेस का एक संग्रह है जो किसानों तथा कृषि क्षेत्र पर केंद्रित है। यह किसानों को कृषि खाद्य मूल्य शृंखला में एंड टू एंड सर्विसेज़ प्रदान करने के लिये एक एकीकृत मंच तैयार करेगा। साथ ही यह यह केंद्र के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारत में भूमि के डिजिटलीकरण से लेकर मेडिकल रिकॉर्ड तक के डेटा को डिजिटाइज़ करने के लिये व्यापक प्रयास करना है।

आवश्यकता:

  • वर्तमान में भारत में अधिकांश कृषक छोटे और सीमांत स्तर के किसान हैं, जिनकी उन्नत तकनीकों या औपचारिक ऋण तक सीमित पहुँच है, जो उत्पादन में सुधार तथा बेहतर मूल्य प्राप्ति में सहायक हो सकते हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रस्तावित नई डिजिटल कृषि प्रौद्योगिकियों और सेवाओं के प्रयोग से मवेशियों की निगरानी के हेतु सेंसर, मिट्टी का विश्लेषण करने और कीटनाशक छिड़काव के लिये ड्रोन, कृषि उपज में सुधार तथा किसानों की आय को बढ़ावा देना शामिल है।
  • हितधारकों को अपनी प्रतिपुष्टि लिए जीआईएस (GIS) और आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) सेवाओं को नियुक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, कटाई के बाद के चरण में, कटाई उपकरण आपूर्तिकर्ताओं और खरीदारों को एक ट्रिगर भेजा जा सकता है, जो किसानों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए कृषक से संपर्क कर सकते हैं।
  • यह पण्यों की मूल्यों में उतार-चढ़ाव, मांग-आपूर्ति के पूर्वानुमान और मौसम संबंधी सलाह के जोखिम को कम करने के लिए बाजार आसूचना के प्रावधान को सक्षम कर सकता है। साथ ही एक बाजार बनाया जा सकता है, जहां विभिन्न उद्यमी और उत्पादों और सेवाओं के आपूर्तिकर्ता मिल सकते हैं।
  • क्रेडिट और सूचना तक अपर्याप्त पहुँच, कीट संक्रमण, फसल की बर्बादी, फसलों की कम कीमत और उपज की भविष्यवाणी जैसी समस्याओं से डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग से पर्याप्त रूप से निपटा जा सकता है। यह नवाचार को बढ़ावा देने के साथ ही कृषि क्षेत्र में निवेश को भी बढ़ाएगा तथा अधिक लचीली फसलों के लिये अनुसंधान को बढ़ावा देगा।

हालाँकि, हाल ही में किसान अधिकारों और डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले कई संगठनों ने निम्नलिखित चिंताओं के कारण सरकार की एग्रीस्टैक बनाने की योजना पर चिंता व्यक्त किया है :

  • डेटा सुरक्षा: इसे डेटा सुरक्षा कानून के अभाव में लागू किया जा रहा है। ऐसे सुरक्षा उपायों के बिना, निजी संस्थाएं किसानों के डेटा का जितना चाहें उतना शोषण कर सकती हैं।
  • वित्तीय शोषण: एक बार जब फिनटेक कंपनियां किसानों के कार्यों के बारे में बारीक डेटा एकत्र करने में सक्षम हो जाती हैं, तो वे ऋण की आवश्यकता होने पर सीधे उन्हें ब्याज दरों की पेशकश कर सकती हैं।
  • डिजिटल अभिगम: देश में डिजिटल पहुंच और साक्षरता से संबंधित प्रमुख मुद्दों के साथ देश में बड़े पैमाने पर डिजिटल विभाजन है।
  • समझौता ज्ञापन, डिजिटल रूप से एकत्र किये गए भूमि डेटा का भौतिक सत्यापन करते हैं, लेकिन विवाद उत्पन्न होने पर कार्रवाई का तरीका क्या होगा, इस पर कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
  • कई शोधकर्त्ताओं ने उल्लंघन और लीक के लिये आधार डेटाबेस की भेद्यता को स्पष्ट किया है, जबकि कल्याण वितरण में आधार-आधारित बहिष्करण को भी विभिन्न संदर्भों में भली भांति वर्णित किया गया है। साथ ही भूमि अभिलेख का किसान डेटाबेस बनाने का तात्पर्य है कि, इसमें काश्तकार किसानों, बटाईदारों और खेतिहर मजदूरों को नहीं शामिल किया जाएगा।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि डेटा और प्रौद्योगिकी में किसानों को सशक्त बनाने की क्षमता है, लेकिन सरकार को उन किसानों के हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करना चाहिए जिनके डेटा का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, चूंकि कृषि एक राज्य का विषय है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि राज्य सरकारों को इसमें शामिल किया जाए। अंतर-मंत्रालयी/केंद्र-राज्य परामर्श के माध्यम से सामान्य कृषि डेटा मानकों और सामान्य तंत्र के निर्माण की आवश्यकता है।

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