डेटा सेंटर्स को बुनियाद ढांचे का दर्जा
हाल ही में केंद्र सरकार ने डेटा सेंटर्स को बुनियाद ढांचे का दर्जा दिया है ।
जारी अधिसूचना के अनुसार 5 मेगावाट IT लोड की न्यूनतम क्षमता वाले डेटा सेंटर्स को बुनियादी ढांचे के दर्जे के लिए पात्र माना जाएगा ।
- डेटा सेंटर को अवसंरचना उप क्षेत्रकों की हार्मोनाइज्ड मास्टर लिस्ट में शामिल किया गया है ।
- डेटा सेंटर्स की क्षमता का उनके द्वारा उपभोग की जाने वाली विद्युत के संदर्भ में मापन किया जाता है। यह सर्वर के स्केल पर प्रदर्शित होता है जिसे वे अपने सेंटर्स में होस्ट कर रहे होते हैं ।
- डेटा सेंटर्स के लिए बुनियादी ढांचे का दर्जा देने की घोषणा सर्वप्रथम बजट भाषण 2022 – 23 में की गई थी।
- डेटा सेंटर कंपनियों को कम दरों पर संस्थागत ऋण आसानी से मिल सकेगा।
- विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी आदि ।
- साथ ही, वर्ष 2020 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डेटा सेंटर नीति का प्रारूप जारी किया था।
इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- भारत को एक वैश्विक डेटा सेंटर हब बनाना ।
- इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना और नागरिकों को अत्याधुनिक सेवा प्रदान करना ।
डेटा सेंटर्स पर ध्यान देने की जरूरत क्यों है?
- वर्तमान में, भारत में डेटा सेंटर्स के लिए स्थापित विद्युत क्षमता लगभग 499 मेगावाट है।
- वर्ष 2023 तक इसके 1007 मेगावाट तक हो जाने का अनुमान है।
- डेटा स्थानीयकरण मानदंड भारत में एक मजबूत डेटा सेंटर अवसंरचना स्थापित करने पर बल देते हैं ।
- आपस में जुड़ी हुई इस दुनिया में भारत की डिजिटल संप्रभुता की रक्षा के लिए यह जरूरी है।
डेटा सेंटर के बारे में
- यह एक केंद्रीकृत स्थान में एक समर्पित सुरक्षित जगह है। यहां कंप्यूटिंग और नेटवर्किंग उपकरण बड़ी मात्रा में डेटा एकत्रण, भंडारण, प्रसंस्करण, वितरण या पहुंच की अनुमति देने के उद्देश्य से स्थापित होते हैं।
यह निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करता है:
नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चरः सर्वर आदि को अंतिम उपयोगकर्ता स्थलों से जोड़ता है ।
स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चरः डेटा स्टोर करता है ।
कंप्यूटिंग संसाधनः प्रसंस्करण, मेमोरी आदि प्रदान करते हैं, जो एप्लीकेशन को चलाते हैं ।
स्रोत – द हिन्दू