तमिलनाडु के थेनी में भारतीय न्यूट्रिनो वेधशाला (INO) परियोजना
हाल ही में तमिलनाडु ने थेनी में भारतीय न्यूट्रिनो वेधशाला (INO) परियोजना को अनुमति देने से मना कर दिया है।
तमिलनाडु सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया है। इसमें राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह थेनी जिले के बोदी वेस्ट हिल्स में प्रस्तावित ‘भारत स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला (India-based Neutrino observatory: INO) को अनुमति नहीं देगी।
हलफनामे में INO परियोजना पर निम्नलिखित चिंताएं व्यक्त की गई हैं:
- सुरंग निर्माण के कार्य से कई समस्याएं पैदा होंगी। जैसे पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र में निर्माण अपशिष्ट सामग्री से प्रदूषण, चट्टानों के टूटने और शीर्ष के ढहने का खतरा विद्यमान है।
- यह परियोजना जैव विविधता को प्रभावित करेगी। यह क्षेत्र कई स्थानिक प्रजातियों को आश्रय प्रदान करता है।
- यह क्षेत्र संभल और कोट्टाकुडी नदियों के लिए एक महत्वपूर्ण जलसंभर एवं जलग्रहण क्षेत्र है। यह तमिलनाडु के पांच जिलों में आजीविका सहयोग प्रदान करता है।
- परियोजना क्षेत्र केरल में पेरियार टाइगर रिजर्व को श्रीविलिपुतुर मेघमलै टाइगर रिज़र्व से जोड़ता है। उत्खनन और निर्माण गतिविधियां वन्य जीवों को परेशान करेंगी। ये वन्य जीव मौसमी प्रवास के लिए इस संपर्क गलियारे का उपयोग करते हैं ।
भारत स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला के बारे में
- यह एक बहु-संस्थागत प्रयास है। इसका उद्देश्य न्यूट्रिनो का अध्ययन करने के लिए एक विश्व स्तरीय भूमिगत प्रयोगशाला और एक बायरन कैलोरीमीटर (JACL) डिटेक्टर का निर्माण करना है।
- इसका लक्ष्य न्यूट्रिनो कणों के गुणों का आकलन करना और न्यूट्रिनो दोलनों से संबंधित मापदंडों का सटीक मापन करना है।
- यह परियोजना परमाणु ऊर्जा विभाग तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित है।
न्यूट्रिनो के बारे में
- न्यूट्रिनो छोटे व उदासीन प्राथमिक कण हैं। ये कमजोर बल के माध्यम से पदार्थ के साथ परस्पर अंतःक्रिया करते हैं।
- यह कमजोर बल न्यूट्रिनो को विशिष्ट गुण प्रदान करता है। इससे पदार्थ/द्रव्य उसके लिए लगभग पारदर्शी हो जाता है।
- सूर्य और अन्य सभी तारे, नाभिकीय संलयन एवं अपने कोर के भीतर क्षय प्रक्रियाओं के कारण प्रचुर मात्रा में न्यूट्रिनो का उत्पादन करते हैं।
- न्यूट्रिनो, न्यूक्लियॉन (प्रोटॉन और न्यूट्रिनो) की संरचना का अध्ययन करने के लिए एक साधन प्रदान करते हैं। इससे यह ज्ञात किया जा सकता है कि कैसे पदार्थ सरल कणों से कणों के अधिक जटिल संयोजन में रूपांतरित होता है।
स्रोत –द हिन्दू