भारतीय डेयरी उत्पादों के निर्यात में वृद्धि
भारतीय डेयरी उत्पादों का निर्यात 500 मिलियन डॉलर को पार कर आठ वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
वित्त वर्ष 2022 में भारतीय डेयरी निर्यात में एक वर्ष पहले की समान अवधि की तुलना में व्यापक बढ़ोतरी हुई है। इसमें मूल्य की दृष्टि से 93% की, वहीं मात्रा की दृष्टि से 63% की वृद्धि दर्ज की गई है।
निर्यात में वृद्धि के कारण:
- कमोडिटी और मूल्य वर्धित डेयरी उत्पादों,दोनों की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
- वैश्विक कीमतों में वृद्धि दर्ज की गयी है।
- डेयरी समृद्ध देशों में आहार लागत बढ़ रही है, जबकि उर्वरक की कमी देखी जा रही है।
- इस वजह से भारतीय डेयरी उत्पाद की मांग बढ़ी है।
उपर्युक्त के अलावा, निम्नलिखित पहलों ने भी भारतीय डेयरी क्षेत्र की मजबूती में मदद की है:
- डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोषः इसके तहत पूंजी की कमी का सामना कर रही दुग्ध सहकारी समितियों को 5% की दर से रियायती ऋण प्रदान किया जाता है।
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोषः यह मांस प्रसंस्करण क्षमता और उत्पाद विविधीकरण को बढ़ाने में मदद करता है।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रमः इसके तहत दूध और दूध उत्पादों की खरीद, प्रसंस्करण एवं विपणन के लिए डेयरी अवसंरचना का निर्माण तथा उन्हें मजबूत करने में मदद की जाती है।
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): इसके माध्यम से पशुपालक किसानों को बैंकिंग प्रणाली से पर्याप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान की जाती है।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजनाः मोजरेला पनीर के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए इसकी घोषणा की गयी है।
- पशुपालन क्षेत्र में स्वचालित मार्ग से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गयी है।
दुग्ध उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है। दूध के कुल वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 20% है। इसमें 8 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त है।
स्रोत –द हिन्दू