लोक सभा में भारतीय अंटार्कटिका विधेयक, 2022 प्रस्तुत
हाल ही में केंद्र सरकार ने लोक सभा में भारतीय अंटार्कटिका विधेयक, 2022 प्रस्तुत किया गया है ।
केंद्र सरकार ने भारतीय अंटार्कटिका विधेयक, 2022 पेश किया है। इसका उद्देश्य अंटार्कटिका के पर्यावरण और इससे संबंधित पारितंत्र की रक्षा करना तथा अंटार्कटिक संधि को प्रभावी बनाना है।
वर्ष 1959 में 12 देशों ने अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किये थे। यह संधि अंटार्कटिका महाद्वीप के सैन्यीकरण को रोकने और इसे शांतिपूर्ण गतिविधियों के केंद्र के रूप में स्थापित करने पर केंद्रित है।
भारत वर्ष 1983 से अंटार्कटिक संधि का हस्ताक्षरकर्ता है।
अंटार्कटिका विधेयक की मुख्य विशेषताएँ
परमिट के बिना अंटार्कटिका में भारतीय अभियान या अंटार्कटिका में कुछ गतिविधियों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव किया गया है।
भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम में शामिल हैं:
- दक्षिण गंगोत्री,
- मैत्री और
- भारती।
- अंटार्कटिक पर्यटन के प्रबंधन और मत्स्यन के सतत विकास सहित भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम की गतिविधियों को सुगम बनाया जाएगा।
- एक अंटार्कटिका फंड बनाया जाएगा। इसका उपयोग अंटार्कटिका अनुसंधान कार्य के कल्याण और अंटार्कटिका के पर्यावरण की सुरक्षा में किया जाएगा।
- अंटार्कटिका अभिशासन और पर्यावरण संरक्षण पर एक समिति गठित की जाएगी। यह समिति प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय कानूनों, उत्सर्जन मानकों और सुरक्षा के नियमों की निगरानी, कार्यान्वयन एवं अनुपालन सुनिश्चित करेगी।
- अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण पर अमिसमय, 1982 और अंटार्कटिक संधि के लिए पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल, 1998 का क्रियान्वयन किया जाएगा।
अंटार्कटिका विधेयक की आवश्यकता?
- अंटार्कटिका में समुद्री जीवन संसाधनों का दोहन और मानव उपस्थिति को देखते हुए यह जरुरी है।
- अंटार्कटिका में पर्यटन और मत्स्यन को विनियमित करने की जरूरत है।अंटार्कटिका एक निर्जन भूमि है और इसलिए एक घरेलू कानून की आवश्यकता है।
स्रोत –द हिन्दू