रूस–यूक्रेन संघर्ष के कारण भारत का गेहूं निर्यात बढ़ने की उम्मीद
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत से गेहूं का निर्यात तेजी से बढ़कर 10 मिलियन टन से भी अधिक की उम्मीद है।
- विश्व के अन्य गेहूं उत्पादक देशों की तुलना में भारत की गेहूं की फसल, मार्च की शुरुआत से ही उपलब्ध होगी।
- विदित हो कि वैश्विक गेहूं आपूर्ति में एक चौथाई हिस्सा रूस और यूक्रेन का है।
- इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 में भारत से गेहूं का निर्यात ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुँच गया था। उस वर्ष 5 मिलियन टन गेहूँ का निर्यात हुआ था। चालू वित्त वर्ष में भारत ने वित्त वर्ष 2012-13 के आंकड़े को पार कर लिया है।
- अब इस वित्त वर्ष में 10 मिलियन टन से अधिक गेहूं के निर्यात की उम्मीद की जा रही है।
गेहूं के बारे में:
- यह भारत में रबी (सर्दियों) मौसम में उगाई जाने वाली एक मुख्य फसल है।
- भारत, विश्व में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
गेहूं के लिए अनुकूल जलवायु स्थितियां:
- यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से लेकर समशीतोष्ण क्षेत्रों और सुदूर उत्तर के ठंडे इलाकों में भी उगाया जा सकता है।
- इस फसल को वृद्धि के लिए अधिकांश समय ठंडे और नम मौसम की आवश्यकता होती है। जबकि, इसे ठीक से पकने के लिए शुष्क और गर्म मौसम की आवश्यकता होती है।
- इसके लिए आवश्यक तापमान सीमा 20-25 डिग्री सेल्सियस है।
- बालियां निकलते समय और पुष्पन या फूल आने के दौरान बहुत अधिक या बहुत कम तापमान और सूखा, गेहूं के लिए हानिकारक होता है।
- गेहूं की खेती के लिए दोमट या चिकनी बलुई प्रकार की, सुगठित और मध्यम जल धारण क्षमता वाली मिट्टी आदर्श होती है।
स्रोत –द हिन्दू