भारत–अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी बैठक
- हाल ही में भारत-अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी की 9वीं मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की गई है।
- इसमें भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री ने किया तथा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राजस्व सचिव ने किया है।
- इस बैठक में अमेरिका ने ‘फ्रेंड-शोरिंग’ योजना के तहत भारत के साथ संबंधों को और गहरा करने की इच्छा प्रकट की है।
- बढ़ते आर्थिक एकीकरण का हवाला देते हुए अमेरिकी वित्त मंत्री (Treasury Secretary) ने भारत के लिए फ्रेंड-शोरिंग का समर्थन किया है।
- फ्रेंड-शोरिंग अमेरिका द्वारा प्रस्तुत अवधारणा है। इसका बाह्य अवरोधों या आर्थिक मंदी से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की रक्षा के साधन के रूप में उल्लेख किया जाता है।
- पिछले कुछ वर्षों में, विश्व ने कई प्रकार के व्यापार अवरोधों का सामना किया है।
- इनमें शामिल हैं– अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, कोविङ-19 महामारी, यूक्रेन पर रूस का आक्रमण आदि।
- इस अवधारणा के पीछे मूल विचार साझा मूल्यों वाले देशों का एक समूह बनाना है। इसके बाद कंपनियों को इसी समूह के देशों में विनिर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करने वाली नीतियां बनाना है।
- इसके तहत सेमीकंडक्टर उद्योग, हरित ऊर्जा, दूरसंचार और खनिज उद्योग क्षेत्रकों पर बल दिया जाता है।
फ्रेंड–शोरिंग का महत्व
- महत्वपूर्ण कच्चे माल, प्रौद्योगिकियों या उत्पादों के मामले में चीन और रूस जैसे देशों द्वारा बाजार में अपने प्रभुत्व का अनुचित लाभ उठाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को बाधित करने से रोका जा सकेगा।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने में मदद मिलेगी।
- इससे व्यवसाय युद्ध, अकाल, राजनीतिक परिवर्तन या भावी महामारी जैसे बाह्य संकटों का सामना करने में सक्षम हो सकेंगे।
फ्रेंड–शोरिंग से जुड़ी चिंताएं
- इसे वि-वैश्वीकरण (Deglobalisation) प्रक्रिया का हिस्सा माना जाता है। इसके परिणामस्वरूप भविष्य में अल्पावधि में अधिक आपूर्ति अवरोध व उच्च कीमतें और लंबी अवधि में निम्न संवृद्धि दर देखी जा सकती है।
- वैश्विक व्यापार की आवश्यकता वाले गरीब देशों को इस के समूह से बाहर रखा जा सकता है।
भारत–अमेरिका आर्थिक संबंध:
- वर्ष 2021 में वस्तुओं और सेवाओं में समग्र अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार 157 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।
- संयुक्त राज्य अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और सबसे महत्त्वपूर्ण निर्यात बाज़ार है।
- अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। वर्ष 2021-22 में भारत का अमेरिका के साथ 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष था।
अन्य संबंधित शब्दावलियां
- ऑफशोरिंग : इसके तहत कंपनियां सस्ते श्रम वाले देशों में विनिर्माण को स्थानांतरित करके लागत में कटौती करती हैं। दोनों देशों ने अपतटीय (ऑफशोरिंग) कर चोरी से निपटने के लिये सूचना साझा करने में आपसी सहयोग पर भी चर्चा की।
- रीशोरिंग: इसके तहत कंपनियां उत्पादन प्रक्रिया को वापस अपने गृह देश में संचालित करती हैं।
स्रोत – द हिन्दू