भारत–यूएई CEPA समझौता
हाल ही में भारत-संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) किया गया है ।
CEPA के लागू होने से लगभग 26 अरब डॉलर मूल्य के भारतीय उत्पादों को लाभ होने की संभावना है। वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात इन वस्तुओं पर 5% का आयात शुल्क लगाता है।
संयुक्त अरब अमीरात, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। दो सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार अमेरिका और चीन हैं।
भारत–यूएई CEPA के प्रमुख प्रावधान
- भारत से संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात किए जाने वाले लगभग 90% उत्पादों पर शून्य शुल्क लगेगा। किसी उत्पाद के आयात में अचानक वृद्धि से निपटने के लिए एक स्थायी रक्षोपाय तंत्र की व्यवस्था की गयी है।
- भारतीय जेनेरिक दवाओं को विकसित देशों में अनुमति मिलने के बाद UAE में भी स्वतः पंजीकरण और विपणन अधिकार प्राप्त हो जायेगा।
- इसमें “उत्पत्ति के नियम” (Rules of origin: ROOs) जैसा सख्त प्रावधान भी किया गया है। यह 40% तक मूल्य संवर्धन के पर्याप्त प्रसंस्करण को आवश्यक बनाता है।
- समझौते में ‘उत्पत्ति के नियम’ का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि, कोई उत्पाद व्यापार समझौतों के तहत शुल्क मुक्त या कम शुल्क व्यवस्था के लिए पात्र होगा।
CEPA का महत्व–
- इस समझौते से अगले पांच वर्षों के दौरान द्विपक्षीय वस्तु व्यापार के 100 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद है। इसी तरह सेवाओं में व्यापार के 15 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचने की अपेक्षा है।
- भारत में रोजगार के लगभग 10 लाख नए अवसर पैदा होंगे।
- यह समझौता ओमान, कतर आदि जैसे खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों के साथ व्यापक व्यापार समझौतों का मार्ग प्रशस्त करेगा।
CEPA के बारे में–
यह एक द्विपक्षीय समझौता है। इसमें वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार, निवेश, प्रतिस्पर्धा एवं बौद्धिक संपदा अधिकार शामिल हैं।
स्रोत –द हिन्दू