भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईई-ईसी)

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईई-ईसी)

हाल ही में नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के अवसर  पर ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईई-ईसी)’ की स्थापना के लिए भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी और इटली के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है।

आईएमईई-ईसी के बारे में

  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईई-ईसी) एक बुनियादी ढांचा विकास परियोजना है, जिसका उद्देश्य रेल और शिपिंग नेटवर्क, ऊर्जा केबल और डेटा लिंक के माध्यम से कनेक्टिविटी बनाना है।
  • यह नेटवर्क एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच भौगोलिक एकीकरण के माध्यम से आर्थिक संवृद्धि में सहायता करेगा।
  • आईएमईई-ईसी का उद्देश्य चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का विकल्प प्रदान करते हुए व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • रेलवे लाइन्स: इससे भारत और यूरोप के बीच व्यापार की गति में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी ।
  • विद्युत केबल और एक स्वच्छ हाइड्रोजन पाइपलाइन: स्वच्छ ऊर्जा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बिजली केबल और एक स्वच्छ हाइड्रोजन पाइपलाइन।
  • हाई-स्पीड डेटा केबल: विश्व में नवोन्मेषी डिजिटल इकोसिस्टम को जोड़ने और व्यावसायिक अवसर पैदा करने के लिए हाई-स्पीड डेटा केबल।
  • पूर्वी गलियारा भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है, उत्तरी गलियारा अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ता है।

भारत को लाभ:

  • खाद्य सुरक्षा, क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला, व्यापार पहुंच, पर्यावरणीय विचार, आर्थिक सामंजस्य, रोजगार सृजन को बढ़ाना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना।
  • भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इज़राइल और यूरोप को जोड़ने वाला विश्वसनीय सीमा-पार जहाज-से-रेल पारगमन नेटवर्क ।
  • यह भारत को चीन के BRI की तुलना में वैश्विक वाणिज्य, डिजिटल संचार और ऊर्जा नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करता है।
  • भौगोलिक लाभ : यह भारत को दक्षिण पूर्व एशिया से खाड़ी, पश्चिम एशिया और यूरोप तक फैले व्यापार मार्ग पर मजबूती से रखता है ।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस    

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