भारत में लर्निंग पॉवर्टी (अधिगम निर्धनता) में वृद्धि
विश्व बैंक के अनुसार भारत में लर्निंग पॉवर्टी (अधिगम निर्धनता) में वृद्धि हुई है ।
विश्व बैंक के ग्लोबल डायरेक्टर फॉर एजुकेशन जैमे सावेद्रा के अनुसार, भारत में लर्निंग पॉवर्टी 54% से बढ़कर 70% हो गई है।
लर्निंग पॉवर्टी का अर्थ 10 वर्ष के ऐसे बच्चों के प्रतिशत से है, जो एक सामान्य कहानी को पढ़ और समझ नहीं सकते हैं।
लर्निंग पॉवर्टी के संकेतक:
- प्राथमिक शिक्षा के अंत में स्कूली शिक्षा और सीखने की अवधारणा,
- पढ़ने में कुशलता तथा सतत विकास लक्ष्य 4 की रिपोर्टिंग प्रक्रिया के क्रम में स्कूलों में नामांकन। बुनियादी शिक्षा में सुधार के प्रयासों का समर्थन करने के लिए, विश्व बैंक ने एक वैश्विक लक्ष्य भी निर्धारित किया है।
यह लक्ष्य है: लर्निंग पॉवर्टी दर में कटौती करके वर्ष 2030 तक उसे कम से कम आधा करना।
लर्निंग पॉवर्टी में कमी के लिए संभावित उपाय:
- नए स्कूल की स्थापना के समय स्कूल में बच्चों के पुनः नामांकन में वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए।
- बच्चों की सीखने की क्षमता की स्थिति जानने के लिए उनका नियमित रूप से आकलन किया जाना चाहिए।
- बच्चों को आधारभूत शिक्षा पढ़ाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- कैच-अप लनिंग को बढ़ाने के लिए, शिक्षकों को छात्रों को उनकी आयु और कक्षा स्तर की बजाय उनके सीखने के स्तर के आधार पर उन्हें समूहबद्ध करने हेतु समर्थन दिया जाना चाहिए।
- डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए कनेक्टिविटी सॉफ्टवेयर, उपकरणों और शिक्षक पेशेवर विकास में निवेश करने की जरूरत है।
लर्निंग पॉवर्टी में कमी के लिए सरकार द्वारा किये गए उपाय:
- नई शिक्षा नीति 2020: कक्षा 3 तक सभी छात्रों द्वारा मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह लक्ष्य वर्ष 2025 तक प्राप्त किया जाना है।
- समझ के साथ पढ़ने तथा संख्या गणना में निपुणता के लिए राष्ट्रीय पहल (NIPUN भारत) कार्यक्रमः यह मूलभूत साक्षरता और संख्या कौशल (Foundational Literacy and Numeracy: FLN) पर एक राष्ट्रीय मिशन है। इसका उद्देश्य FLN की सार्वभौमिक प्राप्ति को सुनिश्चित करना है। इससे वर्ष 2026-27 तक प्रत्येक बच्चा कक्षा 3 के अंत में और कक्षा 5 तक पढ़ने, लिखने तथा अंकगणित में सीखने की वांछित क्षमता प्राप्त कर सकेगा।
स्रोत –द हिन्दू