भारत-फ्रांस वार्षिक रक्षा वार्ता
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने चौथी भारत-फ्रांस वार्षिक रक्षा वार्ता आयोजित की है।
वार्ता के दौरान निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की गई:
- ‘मेक इन इंडिया’ का ध्यान रखते हुए रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक सहयोग बनाए रखना,
- समुद्री सहयोग को मजबूत करना और द्विपक्षीय अभ्यासों के दायरे का विस्तार करना ।
- दोनों पक्षों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने की भी प्रतिबद्धता प्रकट की ।
भारत-फ्रांस सहयोग का महत्व
- रक्षा आधुनिकीकरण: भारत के लिए फ्रांस अति महत्वपूर्ण सैन्य प्रौद्योगिकी की खरीद के लिए एक विशेष बाजार है। इसका कारण यह है कि भारत का रक्षा उद्योग कई समस्याओं का सामना कर रहा है। भारत फ्रांसीसी रक्षा उपकरणों की बिक्री के लिए एक बड़ा बाजार है।
- अंतरिक्ष गतिविधियों में सहयोग: समुद्री क्षेत्र जागरूकता, उपग्रह नेविगेशन प्रणाली, अंतरिक्ष परिवहन, अंतरिक्ष में अन्वेषण के लिए मानव युक्त अभियान आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें बाह्य अंतरिक्ष संपदाओं का उपयोग किया जा सकता है।
- नए आर्थिक अवसरः फ्रांस के साथ मिलकर भारत नए बाजारों में नई और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों के निर्माण एवं निर्यात की संभावनाएं तलाश रहा है।
- हिंद-प्रशांत में बड़ी भूमिकाः चीन की बढ़ती आक्रामकता और चीन व अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा ने पूरे क्षेत्र में बड़े बदलावों एवं अवरोधों की स्थिति पैदा कर दी है।
- हिंद-प्रशांत में फ्रांस के राज्यक्षेत्र उसके 93% अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZs) का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हिंद-प्रशांत में सहयोग के लिए की गई प्रमुख पहलें
- हिंद-प्रशांत त्रिपक्षीय विकास सहयोग कोष स्थापित किया गया है।
- सहयोग को और बढ़ाने के लिए भारत-फ्रांस-संयुक्त अरब अमीरात त्रिपक्षीय फ्रेमवर्क तथा भारत-फ्रांस-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय मेकेनिज्म स्थापित किया गया है।
- पारस्परिक लॉजिस्टिक्स सहायता समझौता किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू