यूक्रेन रूस संकट पर भारत की कूटनीति
हाल ही में विदेश मंत्री ने कहा है कि यूक्रेन रूस संकट पर भारत की कूटनीति 6 सिद्धांतों पर आधारित है ।
- भारत को पिछले कुछ दिनों में यूक्रेन संकट पर कूटनीतिक रूप से बहुत सावधानी बरतनी पड़ी है। भारत रूस और पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने के प्रयास में ऐसा कर रहा है।
- रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन में पैदा हुए मानवीय संकट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में दो संकल्पों (resolutions) पर मतदान हुआ था। भारत दोनों अवसरों पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहा।
- पहले ड्राफ्ट रेजोल्यूशन (प्रारूप संकल्प) के माध्यम से रूस को इस संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। भारत इस पर हुए मतदान के समय अनुपस्थित रहा था।
- दूसरी बार मतदान का अवसर तब आया, जब यह मांग की गयी थी क्या संयुक्त राष्ट्र महासभा को किसी कार्रवाई के लिए दूसरा संकल्प लाना चाहिए। हालांकि, इस संकल्प में रूस का उल्लेख नहीं था। यह केवल एक प्रकार का प्रक्रियात्मक मतदान (procedural vote) था।
- सरकार ने सूचित किया है कि इस संकट पर भारत का दृष्टिकोण या इसकी कूटनीति अपने राष्ट्रीय हितों द्वारा निर्देशित है। यह छह सिद्धांतों पर आधारित है। ये सिद्धांत वार्ता और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं।
ये छह सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
- हिंसा की तत्काल समाप्ति और शत्रुता का अंत,
- वार्ता और कूटनीति के मार्ग पर वापस लौटना,
- इस तथ्य को मान्यता देना कि ग्लोबल ऑर्डर यानी वैश्विक व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय कानून,
- यू.एन. चार्टर और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है।
- संघर्ष की स्थिति में भी मानवीय पहुँच के लिए अवसर,
- तथा रूस और यूक्रेन, दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क बनाए रखना।
स्रोत –द हिन्दू