नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) रिपोर्ट 2020 जारी
हाल ही में केंद्र सरकार ने भारत की नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) रिपोर्ट 2020 जारी की है। यह रिपोर्ट देश में CRS के कामकाज पर एक अवलोकन प्रदान करती है।
यह रिपोर्ट निम्नलिखित पर डेटा का संकलन प्रस्तुत करती है:
- नागरिक पंजीकरण रिकॉर्ड के आधार पर ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में लिंग आधारित पंजीकृत जन्म, मृत्यु, मृत बच्चे का जन्म (स्टिलबर्थ ) और जन्म के समय लिंगानुपात।
- जन्म और मृत्यु का पंजीकरण एक केंद्रीय अधिनियम “जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (RBD), 1969 के तहत किया जाता है।
- अधिनियम के लागू होने के साथ ही भारत में जन्म, मृत्यु और मृत बच्चे के जन्म का पंजीकरण अनिवार्य हो गया है।
- जन्म और मृत्यु का पंजीकरण केवल जन्म और मृत्यु की जगह पर ही किया जाता है।
- जन्म और मृत्यु की सूचना इसके घटित होने के 21दिनों के भीतर देनी होती है।
- केंद्र सरकार के स्तर पर भारत का महारजिस्ट्रार (RGI) पूरे देश में पंजीकरण की गतिविधियों का समन्वय और एकीकरण करता है। हालांकि, इस कानून के क्रियान्वयन की शक्ति राज्य सरकारों के पास है।
- CRS पंजीकृत जन्म और मृत्यु की गणना प्रस्तुत करती है। वहीं सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) जन्म और मृत्यु की कुल संख्या का अनुमान प्रस्तुत करती है।
- जन्म का पंजीकरण प्रत्येक बच्चे का अधिकार है। यह उसकी कानूनी पहचान स्थापित करने की दिशा में पहला कदम है।
CRS-2020 के मुख्य निष्कर्ष
- वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में मृत्यु पंजीकरण में 75 लाख की वृद्धि हुई है। वर्ष 2020 में कुल पंजीकृत मौतों की संख्या 81.16 लाख थी।
- सभी मौतों के 90% से अधिक मामले 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज किये गए हैं।
- वर्ष 2020 में 42 करोड़ जन्म पंजीकृत किये गए। यह वर्ष 2019 में पंजीकृत 2.48 करोड़ की तुलना में कम है। पंजीकृत जन्मों में 52% लड़के और 48% लड़कियां हैं।
- पूरे भारत में लद्दाख में जन्म के समय उच्चतम लिंगानुपात दर्ज किया गया। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश और अंडमान एवं निकोबार का स्थान है।
स्रोत –द हिन्दू