भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन

भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन

हाल ही में भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन आभासी रूप में आयोजित हुआ । भारत ने डिजिटल माध्यम से पहले भारत मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी की है।

इसमें कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्वेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने भाग लिया।

इसे भारत और मध्य एशिया के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कियागया है।

शिखर सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्ष

  • शिखर सम्मेलन को प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित करने पर सहमति प्रकट की गई। इस हेतु एक संस्थागत तंत्र बनाया जाएगा।
  • नई व्यवस्था का सहयोग करने के लिए नई दिल्ली में एक भारत-मध्य एशिया सचिवालय स्थापित किया जाएगा।
  • अफगानिस्तान के मुद्दे और चाबहार बंदरगाह के उपयोग पर संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की जाएगी।
  • व्यापार और संपर्क, विकास सहयोग, रक्षा एवं सुरक्षा तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में आगे सहयोग किया जाएगा। यह सहयोग निम्नलिखित के माध्यम से किया जाएगा । बौद्ध धर्म से जुड़ी प्रदर्शनियों का प्रदर्शन, आतंकवाद-रोधी संयुक्त अभ्यास आदि।

भारत के लिए मध्य एशिया का महत्व

  • यह क्षेत्र कोयला, गैस, यूरेनियम आदि जैसे खनिजों के व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य भंडार से संपन्न है।
  • यह क्षेत्र कट्टरवाद के प्रभावों को रोकने के लिए बफर क्षेत्र के रूप में कार्य करता है। साथ ही, यह नार्को-आतंकवाद को भारत में प्रवेश करने से रोकता है।
  • तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में सत्ता पर अधिकार करने के साथ ही भारत के लिए इस क्षेत्र का महत्व अत्यधिक
  • तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में सत्ता पर अधिकार करने के साथ ही भारत के लिए इस क्षेत्र का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। मध्य एशिया का भू-रणनीतिक महत्व भी है। यह रूस, मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और सुदूर पूर्व के संपर्क बिंदु पर स्थित है।

स्रोत -द हिन्दू

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