महासागरों में बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण

महासागरों में बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण

हाल ही में विश्व वन्यजीव कोष (WWF) ने महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण की अप्रत्याशित वृद्धि को लेकर चेतावनी जारी की है।

विश्व वन्यजीव कोष ने “महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण का समुद्री प्रजातियों, विविधता और पारितंत्र पर प्रभाव” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।

इस रिपोर्ट को जर्मनी के अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट के सहयोग से तैयार किया गया है। यह महासागर में प्लास्टिक और प्लास्टिक के सूक्ष्म टुकड़ों (माइक्रोप्लास्टिक) के प्रभाव को मापन करती है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षः

  • महासागर में प्लास्टिक के गंभीर संदूषण से 88 प्रतिशत समुद्री प्रजातियां प्रभावित हुई हैं।
  • वर्ष 2040 तक प्लास्टिक का उत्पादन दोगना हो जाएगा। इससे महासागर में प्लास्टिक कचरे का मात्रा चार गुना बढ़ जाएगी।
  • इससे सर्वाधिक संकटग्रस्त समुद्री क्षेत्र पीत सागर, पूर्वी चीन सागर, आर्कटिक समुद्री हिमावरण क्षेत्र और भूमध्यसागरीय क्षेत्र हैं। ये क्षेत्र पहले ही माइक्रोप्लास्टिक को वहन करने की अपनी अधिकतम सीमा तक पहुंच चुके हैं।
  • प्लास्टिक प्रदूषण समुद्री खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर चुका है। यह अब प्रवाल भित्तियों और मैंग्रोव जैसे समुद्री पारितंत्र को प्रभावित कर रहा है।

प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभावः

  • प्राणियों का इसमें फंस जाना: यह श्वसन अवरोध, घाव, गतिविधि करने में बाधा और मृत्यु का कारण बनता है।
  • प्राणियों द्वारा निगल लिया जाना :आंतरिक अंगों को क्षति, भोजन ग्रहण करने में समस्या आदि।
  • दमघोंटू आवरण का निर्माण (Smothering): यह प्रवाल, स्पंज और अधिक गहराई में रहने वाले प्राणियों को प्रकाश, भोजन एवं ऑक्सीजन से वंचित कर देता है।
  • रासायनिक प्रदूषण: यह अंतःस्रावी विघटनकर्ता (Endocrine disruptors), दीर्घकालिक कार्बनिक प्रदूषक आदि का कारक है।

यह रिपोर्ट विश्वभर के देशों से प्लास्टिक पर एक वैश्विक संधि अपनाने का आह्वान करती है। यह संधि बाध्यकारी एवं महत्वाकांक्षी होनी चाहिए। साथ ही, देशों को कार्रवाई के एक समान मानक अपनाने पर बल देने वाली होनी चाहिए।

प्लास्टिक प्रदूषण के रोकथाम के लिए उठाए गए कदमः

  • संयुक्त राष्ट्र सतत विकास एजेंडा 2030: यह ‘महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण एवं सतत उपयोग’ (लक्ष्य 14) करने के लिए कार्रवाई का आह्वान करता है।
  • भारत को वर्ष 2022 तक एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए एकल-उपयोग प्लास्टिक को प्रतिबंधित किया गया है।
  • भारत, मारपोल/MARPOL (अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्रदूषण रोकथाम अभिसमय) का हस्ताक्षरकर्ता है। इसके अलावा, वाणिज्य पोत परिवहन नियम, 2009 के माध्यम से भी समुद्री प्रदूषण की रोकथाम हेतु कार्रवाई की जाती है। ये नियम वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958 के अंतर्गत बनाए गए हैं।

स्रोत द हिन्दू

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