भारतीय न्यायिक प्रक्रियाओं के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का महत्व
सरकार ने न्यायपालिका में मशीन लर्निंग (ML) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी नई व अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। इनसे न्याय वितरण प्रणाली की दक्षता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इसके संभावित लाभ
- भारतीय न्यायपालिका में निर्णयों से संबंधित मुक्त रूप से उपलब्ध डेटा तक पहुंच संबंधी चुनौतियां मौजूद हैं। इनसे इन चुनौतियों से निपटा जा सकेगा।
- इनसे प्रोसेस री-इंजीनियरिंग और ऑटोमेशन के माध्यम से न्याय तक पहुंच में सुधार हो सकता है। साथ ही, न्यायिक प्रक्रिया में भी तेजी लाई जा सकती है।
- बुद्धिमत्तापूर्ण कानूनी विश्लेषण और अनुसंधान जैसे साधनों के माध्यम से बेहतर निर्णय लिया जा सकता है।
- विश्व स्तर पर इनसे संबंधित सर्वोत्तम कार्यप्रणाली से सीखने का अवसर मिलेगा। जैसे कि, यूनाइटेड किंगडम में बार-बार अपराध करने वाले का पूर्वानुमान लगाने की एक प्रणाली विकसित की गयी है।
सुझावः
- ऐसी प्रौद्योगिकियों के लिए मूलभूत नियम बनाने चाहिए।
- हितधारकों की पहचान करनी चाहिए और उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- ऐसी प्रौद्योगिकियों के विकास में सहायता के लिए साझेदारी को बढ़ावा देना चाहिए।
अब तक किए गए उपाय
- सुवास या SUYAS (सुप्रीम कोर्ट विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर): यह एक लैंग्वेज लर्निंग एप्लीकेशन है। इसका अंग्रेजी में दिए गए निर्णयों को क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- सुपेस या SUPACE (सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट एफिशिएंसी): यह दक्षता में सुधार करने और लंबित मामले को कम करने में मदद करता है। यह उन न्यायिक प्रक्रियाओं की पहचान करता है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से स्वचालित हो सकती हैं।
- एससीआई–इंटरैक्ट (SCI-Interact): यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तैयार किया गया एक सॉफ्टवेयर है। यह न्यायाधीशों को फाइलों, याचिकाओं के अनुलग्नकों (annexures) आदि तक पहुंच प्रदान कर सभी 17 पीठों को कागज रहित बनाता है।
स्रोत –द हिन्दू