IMF द्वारा श्रीलंका को 3 बिलियन डॉलर के बेलआउट की मंजूरी

IMF द्वारा श्रीलंका को 3 बिलियन डॉलर के बेलआउट की मंजूरी

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने श्रीलंका के लिए 3 बिलियन डॉलर के बेलआउट की मंजूरी दी है।

IMF के बेलआउट में आमतौर पर एक वित्तीय पैकेज, संरचनात्मक सुधार पैकेज और ऋण संबंधी विशेष शर्तें शामिल होती है। संरचनात्मक सुधार पैकेज के तहत उधार लेने वाले देश को घरेलू आर्थिक सुधार करने होते हैं।

भारत, जापान और चीन ने वित्त पोषण आश्वासन प्रदान करके श्रीलंका के लिए IMF सहायता सुनिश्चित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ये तीनों देश श्रीलंका के तीन सबसे बड़े द्विपक्षीय कर्जदाता देश भी हैं। जापान पेरिस क्लब का सदस्य है ।

बेलआउट IMF की एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत प्रदान किया जाता है। यह सहायता तब दी जाती है, जब कोई देश अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक कमजोरियों के कारण मध्यम अवधि में भुगतान संतुलन (BoP) की गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा होता है, जिनके समाधान में कुछ समय लग सकता है।

EFF सहायता से कई शर्तें जुड़ी होती है ये शर्ते अर्थव्यवस्था की उन संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करने के लिए होती हैं, जिनके कारण BoP संकट उत्पन्न हुआ था ।

IMF की अन्य महत्वपूर्ण ऋण सुविधाएं

  • स्टैंडबाय अरेंजमेंट: यह किसी देश की बाहरी वित्तीय जरूरतों के लिए और अल्पकालिक वित्तपोषण के साथ उसकी समायोजन नीतियों का समर्थन करने के लिए दी जाती है।
  • फ्लेक्सीबल क्रेडिट लाइन: यह सुविधा बहुत मजबूत नीतिगत ढांचे वाले देशों को संकट रोकने और संकट दूर करने हेतु ऋण देने के लिए उपलब्ध कराई जाती है।
  • स्टैंडबाय क्रेडिट फैसिलिटी: इसके तहत अल्पकालिक BoP जरूरतों वाले निम्न आय वाले देशों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • एक्सटेंडेड क्रेडिट फैसिलिटी: यह सुविधा दीर्घकालिक BoP समस्याओं वाले देशों के लिए उपलब्ध है।
  • प्रीकॉशनरी एंड लिक्विडिटी लाइन: यह उन देशों के लिए उपलब्ध है, जिनकी बुनियादी आर्थिक स्थिति मजबूत तो है, लेकिन उनमें कुछ कमजोरियां भी हैं ये कमजोरियां उन्हें फ्लेक्सीबल क्रेडिट लाइन का उपयोग करने से रोकती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

इस संस्थान की स्थापना की परिकल्पना ब्रेटनवुड्स सम्मेलन, 1944 में की गई थी। यह एक विशेष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है। भारत इसका संस्थापक सदस्य है ।

इसके निम्नलिखित कार्य हैं-

  • यह अपने सदस्य देशों की आर्थिक और वित्तीय नीतियों की निगरानी करता है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रों को नीतिगत सलाह प्रदान करता है।
  • विकास बैंकों के विपरीत, IMF विशेष परियोजनाओं के लिए ऋण नहीं देता है। साथ ही, संकट से बचाव में मदद करने के लिए एहतियाती वित्त पोषण के रूप में वित्त भी उपलब्ध करवाता है।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

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