हाल ही में भारत से “समुद्री खीरे” (sea cucumbers) की अवैध तस्करी के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है । वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में समुद्री खीरे (Sea Cucumber) की बरामदगी में वृद्धि हुई है। इस तरह मन्नार की खाड़ी/पाक खाड़ी क्षेत्र खीरे की तस्करी के लिए एक वैश्विक हॉटस्पॉट बन गया है।
इसकी पूर्वी एशिया में अधिक मांग है। भारत और श्रीलंका में समुद्री खीरे का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है। पूर्वी एशिया में इसे एक स्वादिष्ट व्यंजन माना जाता है। यहां इसे ताजा या सुखाकर, दोनों तरह से खाया जाता है। चीन में पारंपरिक चिकित्सा में भी इसका उपयोग किया जाता है।
हालांकि, भारत ने वर्ष 2001 में समुद्री खीरा आधारित मत्स्य पालन पर प्रतिबंध लगा दिया था। श्रीलंका ने परमिट प्रणाली के माध्यम से इसके व्यापार को प्रतिबंधित करने का प्रयास किया था। कानून की इस असमानता ने भारतीय मछुआरों को श्रीलंका के समुद्री खीरे के वैध व्यापार का फायदा उठाने का अवसर दिया है।
समुद्री खीरे के बारे में
- समुद्री खीरा एकाइनोडर्म (समुद्री अकशेरुकी) नामक जीव समूह का हिस्सा है। ये जीव समुद्र तल पर रहते हैं।
- उनके शरीर का आकार खीरे के समान होता है। उनके छोटे शाखानुमा ट्यूब जैसे पैर होते हैं। इनका उपयोग गति करने और आहार के लिए किया जाता है।
पर्यावासः
ये विश्व भर में लगभग सभी समुद्री पर्यावासों में पाए जाते हैं। इनमें उथले से लेकर गहरे समुद्री जल क्षेत्र शामिल हैं।
प्रमुख खतरेः
जलवायु परिवर्तन और महासागरीय अम्लीकरण, पर्यावास का विनाश, अवैध मत्स्यन और जल प्रदूषण।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने समुद्री खीरे की कुछ प्रजातियों (जैसे- ब्राउन सी-कुकम्बर) को वल्नरेबल या एंडेंजर्ड के रूप में वर्गीकृत किया है। लेकिन अधिकांश प्रजातियों को ‘लीस्ट कंसर्न’ श्रेणी में रखा गया है।
स्रोत- हिन्दू