अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की 66वीं बैठक वियना संपन्न
हाल ही में इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) परियोजना में भारत ने योगदान किया है ।
हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की 66वीं बैठक वियना में आयोजित हुई है। बैठक के दौरान आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि भारत ने फ्रांस में ITER परियोजना के लिए क्रायोलाइन की आपूर्ति की है।
AEA परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग और सुरक्षा उपायों के प्रवर्तन को बढ़ावा देता है। इससे परमाणु ऊर्जा का सैन्य उपयोग करने से रोका जा सकता है।
ITER फ्रांस में स्थित है। इसे वर्ष 1985 में लॉन्च किया गया था।
इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- भविष्य में ऊर्जा के स्रोत के रूप में परमाणु संलयन की व्यवहार्यता सिद्ध करना और 35 देशों के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विश्व के सबसे बड़े टोकामक का निर्माण करना।
- टोकामक एक प्रयोगात्मक चुंबकीय संलयन उपकरण है। इसे संलयन से उत्पन्न ऊर्जा का दोहन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- एक टोकामक के भीतर, संलयन के माध्यम से उत्पन्न ऊर्जा को पात्र (vessel) की दीवारें ऊष्मा के रूप में अवशोषित कर लेती हैं। इसका संलयन ताप संयंत्र भाप और फिर बिजली का उत्पादन करने के लिए उपयोग करेंगे।
- ITER के सदस्य हैं- चीन, यूरोपीय संघ, भारत (वर्ष 2005 में शामिल हुआ), जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका।
- परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा सहायता प्राप्त ‘प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान’ (IPR), ITER में भारत की सहयोगी एजेंसी है।
- क्रायोलाइन की आपूर्ति के अलावा, IPR ने ITER को गर्म गैसों के लिए लगभग 6 किलोमीटर की रिटर्न लाइनों की आपूर्ति भी की है। इनका निर्माण भारत में ही हुआ है।
परमाणु संलयन –
- यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दो हल्के नाभिक आपस में मिलकर बड़ी मात्रा में ऊर्जा निर्मुक्त करते हैं।
- संलयन संयत्रों में ट्रिटियम और ड्यूटीरियम (हाइड्रोजन के समस्थानिक) के परमाणुओं का उपयोग किया जाता है।
परमाणु संलयन के निम्नलिखित लाभ हैं:
- प्रचुर मात्रा में ऊर्जा उत्पादन होता है,
- ईंधन कभी समाप्त नहीं होता है,
- संलयन संयंत्र CO, जैसी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन नहीं करते हैं आदि।
स्रोत –द हिन्दू