RBI द्वारा “सूक्ष्म वित्त ऋण के लिए विनियामकीय रूपरेखा दिशा-निर्देश, 2022”

RBI द्वारासूक्ष्म वित्त ऋण के लिए विनियामकीय रूपरेखा दिशानिर्देश, 2022”

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने “सूक्ष्म वित्त ऋण के लिए विनियामकीय रूपरेखा दिशा-निर्देश, 2022″ {RBI (Regulatory Framework for Microfinance Loans) Directions, 2022} जारी किए हैं ।

ये दिशानिर्देश निम्नलिखित के तहत जारी किए गए हैं:

  • बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949,
  • भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, और
  • राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987

ये दिशानिर्देश निम्नलिखित विनियमित संस्थाओं पर लागू होंगे:

  • भुगतान बैंकों (पेमेंट बैंक) को छोड़कर सभी वाणिज्यिक बैंक;
  • सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/राज्य और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक; और सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCS)

इन दिशानिर्देशों पर एक नजरः

  • सूक्ष्म वित्त संस्थाओं (MFIs) को ब्याज दरें निर्धारित करने की स्वतंत्रता दी गयी है। हालांकि, MFIs द्वारा वसूली जाने वाली ब्याज दरें बहुत अधिक या अनुचित नहीं होनी चाहिए।
  • NBFC-MFIs के लिए ‘सूक्ष्म वित्त ऋण’ की न्यूनतम आवश्यकता को संशोधित करके कुल परिसंपत्ति का 75 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • इससे पहले NBFC-MFIs के लिए अपनी कुल परिसंपत्ति का न्यूनतम 85 प्रतिशत “अर्हक संपत्ति” (qualifying assets) के रूप में रखना आवश्यक था। अब NBFC-MFIs की “अर्हक संपत्ति” की परिभाषा को “सूक्ष्म वित्त ऋण” (microfinance loans) की परिभाषा के साथ जोड़ दिया गया है।
  • प्रत्येक विनियमित संस्थान को सूक्ष्म वित्त ऋणों के मूल्य निर्धारण (pricing of microfinance loans) के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बनानी होगी।
  • सूक्ष्म वित्त ऋणों पर वसूल की जाने ब्याज दरें और अन्य प्रशुल्क/शुल्क, RBI की निगरानी के अधीन होंगे।
  • सूक्ष्म वित्त ऋणों को समय से पहले भुगतान करने पर प्री-पेमेंट पेनल्टी नहीं वसूली जाएगी। ऋणों के भुगतान में देरी के की स्थिति में केवल बकाया राशि पर ही पेनल्टी वसूली जाएगी,न कि संपूर्ण ऋण राशि पर।

माइक्रोफाइनेंस या सूक्ष्म वित्त के बारे में

  • सूक्ष्म वित्त एक प्रकार की वित्तीय सेवा है। इसके तहत गरीब और कम आय वाले परिवारों को लघु ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएं प्रदान की जाती है।
  • यह वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने का एक साधन है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के वर्तमान निर्देशों के अनुसारः3 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले परिवारों को प्रदान किए गए सभी जमानत-मुक्त (कोलेटरल-फ्री) ऋणों को सूक्ष्म वित्त ऋण माना जाएगा।

स्रोत –द हिन्दू

Download Our App

MORE CURRENT AFFAIRS

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course