Question – प्राकृतिक परिदृश्य और पुरातत्व अवशेषों का एक उत्कृष्ट स्थान होने के कारण हम्पी को “पत्थर का नक्काशीदार शहर” भी कहा जाता है। इस स्थल के स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व को स्पष्ट कीजिए। – 19 March 2022
Answer – चौदहवीं शताब्दी के दौरान मध्यकालीन भारत के महानतम साम्राज्यों में से एक विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी कर्नाटक राज्य में स्थित है, जिसकी स्थापना हरिहर और बुक्का ने वर्ष 1336 में की थी।
अपने उत्कृष्ट प्राकृतिक परिदृश्य, समृद्ध भूविज्ञान और पुरातत्व अवशेषों के कारण हम्पी को ‘पत्थर में नक्काशीदार शहर’ भी कहा जाता है। यह स्मारक, जिसे लोकप्रिय रूप से “हम्पी खंडहर” कहा जाता है, मुख्य रूप से कमलापुरम और हम्पी के गांवों के बीच स्थित हैं।
यह स्मारक मनुष्य और प्रकृति दोनों के सामंजस्यपूर्ण कार्य-रूप से मिश्रित हैं, और मानव प्रयासों के परिमाण को निरूपित करता है, जिसमें ऊबड़-खाबड़ परिदृश्य को अत्यंत निपुणता के साथ उपयोग किया गया है।
हम्पी विश्व धरोहर स्थल तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है जो बेल्लारी जिले के होस्पेट तालुका और कोप्पल जिले के गंगावती तालुका में फैली हुई है।
यह स्थल स्वाभाविक रूप से महान रणनीतिक विशेषताओं से संपन्न है। इसके एक ओर विस्तृत, प्रचंड तुंगभद्रा नदी, और दूसरी ओर निर्जन और खंडित विशाल शिलाखंडों के साथ अलंघ्य पहाड़ियाँ और पर्वतमालाएँ मजबूत प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।
ग्रेनाइट परिदृश्य की अनूठी चट्टानी उपस्थिति भूकंप और उथल-पुथल से नहीं, बल्कि अनगिनत लाखों वर्षों के अपक्षय द्वारा बनाई गई थी।
निस्संदेह इन तथ्यों ने विजयनगर शासकों को इस स्थल को अपनी शानदार शाही राजधानी के रूप में चुनने के लिए प्रेरित किया। ऋषि विद्यारण्य की याद में शहर को ‘विजयनगर’ या जीत का शहर, या ‘विद्यानगर’ कहा जाता था।
स्थापत्य की दृष्टि से हम्पी का महत्व
- पारंपरिक वास्तुकला से भिन्न: यह पारंपरिक मंदिर निर्माण से भिन्नता प्रदर्शित करता है (बाहरी सहायकों के साथ केंद्रीकृत मंदिर)। धार्मिक इमारतें छोटी-छोटी इकाइयों में बिखरी हुई हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना महत्व और कार्य है।
- धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष स्थानों का समिश्रण: हम्पी के खंडहरों को पवित्र क्षेत्र, मध्यवर्ती सिंचित घाटी, शहरी अन्तर्भाग, महल क्षेत्र और उपनगरीय केंद्रों जैसे क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है। यह किले की दीवारों की सात पंक्तियों से परिवृत्त है।
- स्थानीय सामग्रियों का उपयोग: अधिकांश स्मारकों में स्थानीय रूप से उपलब्ध ग्रेनाइट का व्यापक उपयोग होता है। पॉलिश और सुसज्जित ग्रेनाइट स्लैब ज्यादातर बाहरी दीवारों और मंदिरों के प्रवेश द्वार के लिए उपयोग किए जाते थे, जबकि अधिरचना ईंट और मोर्टार से बना था।
- भव्य रूपरेखा: हम्पी के मंदिर अपने बड़े आयामों, फूलों के अलंकरण, चित्रकारी और नक्काशी, राजसी स्तंभों, भव्य मंडपों और रामायण और महाभारत के विषयों सहित धार्मिक और पौराणिक चित्रणों की एक बड़ी संपत्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। उल्लेखनीय उदाहरण हम्पी में विरुपाक्ष मंदिर और विट्ठलपुर में विट्ठल मंदिर हैं।
- गैर-स्वदेशी शैलियों का उपयोग: इस्लामी वास्तुकला के तत्व जैसे मेहराब, गुंबद और प्लास्टर सजावट, कमल महल, हाथी अस्तबल और रानी के स्नान आदि, शाही ढांचे का एक अभिन्न अंग बनाते हैं।
- जल संचयन: टैंक, पत्थर की नहरों, नालियों, एक्वाडक्ट्स और कुओं सहित जलकल भी हम्पी वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण घटक है।
हम्पी का ऐतिहासिक महत्व:
- ऐतिहासिक मुद्रांकन: इस क्षेत्र पर शासन करने वाले राजवंशों ने भी यहां अपनी अमित छाप छोड़ी है; उदाहरण के लिए, वास्तुकला की विजयनगर शैली प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर थी, जबकि अन्य राजवंशों ने अलंकृत नक्काशी के लिए उपयुक्त नरम शिस्ट चट्टान का प्रयोग किया।
- विविधता: यद्धपि हम्पी पर प्रमुख रूप से हिंदू शासकों का शासन था, परन्तु विभिन्न भाषाविद और विभिन्न धार्मिक परंपराओं के अनुपालक शहर में निवास करते थे।
- आकर्षित विदेशी इतिहासकार: अपनी स्थापत्य भव्यता, सांस्कृतिक समृद्धि और व्यापारिक संबंधों के कारण, शहर ने कई यूरोपीय और फारसी यात्रियों जैसे निकोलो कोंटी और अब्दुल रज्जाक को विजयनगर की ओर आकर्षित किया। वे 15वीं और 16वीं शताब्दी के पूर्वार्ध के दौरान राजधानी में जीवन का विशद विवरण प्रदान करते हैं।
द्रविड़ वास्तुकला जो शेष दक्षिणी भारत में जीवित है, विजयनगर शासकों के संरक्षण के माध्यम से प्रसारित हुई थी। राजा कृष्ण देव राय के मंदिरों में पहली बार प्रस्तुत किया गया राय गोपुर, पूरे दक्षिण भारत में एक मील का पत्थर है। अपने वास्तुशिल्प चमत्कार के कारण ही हम्पी को यूनेस्को द्वारा “विश्व धरोहर स्थल” घोषित किया गया है।