इसरो द्वारा ‘हैक–प्रूफ क्वांटम संचार‘ का सफल परीक्षण
हाल ही में, इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला ने हैक-प्रूफ संचार प्रणाली बनाने के लिए क्वांटम एंटेंगलमेंट का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।
यह उपग्रह आधारित संचार की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसमें क्वांटम-सिक्योर टेक्स्ट साझा करने, इमेज ट्रांसमिशन और क्वांटम असिस्टेड टू-वे वीडियो कॉलिंग के लिए एक चैनल का निर्माण शामिल है। यह प्रयोग 300 मीटर की दूरी पर स्थित दो इमारतों के बीच किया गया था।
क्वांटम संचार के बारे में
- क्वांटम संचार डेटा की सुरक्षा के लिए क्वांटम भौतिकी के नियमों का प्रयोग करता है।
- क्वांटम भौतिकी, क्वांटम (परमाणु और उप-परमाणु) स्तर पर ऊर्जा एवं पदार्थ की प्रकृति व व्यवहार का अध्ययन करती है।
इस प्रकार क्वांटम संचार, क्वांटम भौतिकी के दो प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है:
- सुपरपोजिशनः इसका अर्थ है कि प्रत्येक क्वांटम बिट या क्युबिट (Qubit) एक ही समय में 1 और 0 दोनों को प्रदर्शित कर सकता है।
- एंटेंगलमेंट: इसका अर्थ है कि सुपरपोज़िशन में क्वांटम बिट को एक दूसरे के साथ परस्पर जोड़ा जा सकता है; यानी एक की स्थिति (चाहे वह 1 हो या 0 हो) दूसरे की स्थिति पर निर्भर हो सकती है।
क्वांटम एंटेंगलमेंट का उपयोग क्रिप्टोग्राफी में होता है। यहां इसका उपयोग सेन्डर और रिसीवर के लिए एक साझा सीक्रेट की बनाने हेतु किया जाता है। इस सीक्रेट की का प्रयोग केवल सेन्डर और रिसीवर ही कर सकते हैं। इस की का उपयोग वे अपने संदेशों को एन्कोड करने के लिए करते हैं।
जब कोई सिग्नल को इंटरसेप्ट करता है, तो एंटेंगलमेंट निष्क्रिय हो जाता है। इससे संचार के हैक होने का पता लगाया जा सकता है।
स्रोत –द हिन्दू