जीएसटी परिषद के प्रस्ताव केंद्र एवं राज्यों पर बाध्यकारी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
गुजरात उच्च न्यायालय ने एक फैसला सुनाते हुए कहा था, कि केंद्र सरकार द्वारा भारतीय आयातकों से समुद्री माल पर ‘एकीकृत माल और सेवा कर’ (Integrated Goods and Services Tax – IGST) नहीं लगाया जा सकता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय के इस फैसले को बरकरार रखा है।
अन्य अदालतों के तथ्य–
- जीएसटी परिषद की सिफारिशों की प्रवृत्ति ‘प्रत्ययकारी’ होती है, और ये सिफारिशें ‘केंद्र और राज्य सरकारों’ पर बाध्यकारी नहीं होती हैं।
- अनुच्छेद 246A के अनुसार, संसद और राज्य विधानसभाओं के पास ‘जीएसटी’ पर कानून बनाने के लिए “समान, समकालिक और अद्वितीय शक्तियां” हैं।
इस फैसले के निहितार्थ:
शीर्ष अदालत के इस फैसले का कई अन्य मामलों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा, जिनमे राज्य सरकार ‘जीएसटी परिषद’ के फैसले से, खासकर जून में समाप्त होने वाली ‘मुआवजे की अवधि’ के आलोक में सहमत नहीं हैं।
इस फैसले में जीएसटी परिषद की भूमिका
‘जीएसटी मुद्दों पर सलाह देने और सिफारिश करना’को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। जीएसटी परिषद की सलाह को स्वीकार करना और कानून में उचित संशोधन पारित करना स्पष्ट रूप से केंद्र और राज्य विधानसभाओं का अधिकार क्षेत्र है।
जीएसटी (Goods and Services Tax –GST) क्या है?
- ‘वस्तु एवं सेवा कर’ (GST) अर्थात जीएसटी, निर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला एकल कर है।
- यह वर्तमान ‘कराधान योजना’ के विपरीत एक ‘गंतव्य आधारित’ (Destination Based) कर है।
स्रोत –द हिन्दू