CBDT ने मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा प्राप्त देशों के साथ कर संधियों पर कठोर रुख अपनाया

CBDT ने मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा प्राप्त देशों के साथ कर संधियों पर कठोर रुख अपनाया

हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा प्राप्त देशों के साथ कर संधियों पर कठोर रुख अपनाया है।

  • वित्त अधिनियम 2020 ने लाभांश आय पर कराधान में संशोधन किया था। इस संशोधन ने कंपनियों द्वारा भुगतान किए जाने वाले लाभांश वितरण कर (DDT) को समाप्त कर दिया है। इस संशोधन के माध्यम से कराधान की एक क्लासिकल प्रणाली को अपनाया गया है। इसमें केवल निवेशकों के हाथों में लाभांश पर कर लगाया जायेगा।
  • इससे विभिन्न विदहोल्डिंग दरों वाले देशों में मौजूद अपतटीय निवेशकों के बीच लाभांश पर कराधान में भेदभाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
  • स्लोवेनिया, लिथुआनिया और कोलंबिया के निवेशक लाभांश पर केवल 5 प्रतिशत कर का भुगतान करते हैं। इनकी तुलना में MFN देशों के निवेशक 10-15 प्रतिशत कर का भुगतान करते हैं।

उदाहरण के लिए:

  • भारत-नीदरलैंड के बीच दोहरा कराधान परिहार समझौते (DTAA) के तहत 10 प्रतिशत कर का प्रावधान किया गया है।
  • वर्ष 2021 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने टैक्स की विदहोल्डिंग के लिए समानता के सिद्धांत को प्रभावी बनाए रखा था। साथ ही, यह निर्णय भी दिया था कि भारत-नीदरलैंड DTAA के तहत मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) खंड लागू रहेगा।
  • समानता का सिद्धांत आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के सदस्य देशों के साथ MFN खंड को लागू करने की अनुमति देता है। इस सिद्धांत के कारण MFN देशों के निवेशकों ने भी मूल्यांकन के बाद 5 प्रतिशत की दर से कम कर का भुगतान करना आरंभ कर दिया है।
  • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने तर्क दिया है कि MFN का दर्जा प्राप्त देशों पर समानता का सिद्धांत लागू नहीं होता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ये देश भारत के साथ कर संधियों पर हस्ताक्षर करने के बाद ही OECD के सदस्य बने हैं।
  • पूर्व में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के विपरीत, CBDT के नए रुख से भविष्य में इस विषय पर नए कानूनी विवाद शुरू होने की संभावना है।

मुख्य शब्दावलीः

  • MFN सिद्धांत विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मानदंडों के अधीन है। यह इस विचार पर आधारित है कि देशों को अपने सभी व्यापार भागीदारों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। WTO के अनुसार सभी सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ मोस्ट फेवर्ड नेशन के रूप में समानता का व्यवहार करना चाहिए।
  • लाभांश वितरण कर (DDT) एक प्रकार का कर है। यह कंपनियों द्वारा अपने मुनाफे में से शेयरधारकों के बीच वितरित लाभांश पर लगाया जाता है।
  • दोहरा कराधान परिहार समझौता (Double Taxation Avoidance Agreement: DTAA) एक कर संधि है। यह संधि दो या कई देशों के बीच संपन्न होती है। यह संधि, करदाताओं को स्रोत देश के साथ-साथ अपने निवास वाले देश से भी अर्जित आय पर दोहरे करों का भुगतान करने से बचाती है।

स्रोत द हिन्दू

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