भारत सरकार द्वारा मलेरिया के उन्मूलन लक्ष्य निर्धारित
हाल ही में केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक भारत से मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार शीघ्र ही क्षय रोग और मलेरिया को समाप्त करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू करेगी।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, भारत में वर्ष 2015 से मलेरिया के मामलों में लगभग 86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। साथ ही, इसी अवधि में मलेरिया से होने वाली मौतों में लगभग 79 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
हालांकि, उपर्युक्त उपलब्धियों के बावजूद, WHO की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2021 के अनुसार दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के कुल मामलों में भारत का लगभग 83 प्रतिशत और मौतों में लगभग 82 प्रतिशत का योगदान था।
मलेरिया के बारे में
- मलेरिया एक जानलेवा मच्छर जनित रक्त-रोग है, जो प्लाज्मोडियम परजीवी के कारण होता है।
- यह संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छरों के काटने से फैलता है।
- मनुष्यों में मलेरिया के लिए 5 परजीवी प्रजातियां जिम्मेदार हैं।
- इनमें से 2 प्रजातियां – पी. फाल्सीपेरम (अफ्रीकी महाद्वीप) और पी. विवैक्स (उप-सहारा अफ्रीका के बाहर) सबसे खतरनाक हैं।
मलेरिया उन्मूलन के लिए किए गए उपाय
- राष्ट्रीय वाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP): इसके तहत, तीन रोगों (मलेरिया, फाइलेरिया और कालाजार) के समापन के प्रयास किये जा रहे हैं।
- राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन फ्रेमवर्क (2016-2030) की घोषणा की गयी है।
- राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रणनीतिक योजना (2017-2022) बनाई गयी है।
- वर्ष 2030 तक मलेरिया की समाप्ति के लिए “मलेरिया उन्मूलन अनुसंधान गठबंधन (MERA)-भारत” कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट (HIBAI) पहल की शुरुआत की है।
स्रोत –द हिन्दू