राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया। जो दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम, 1991 का स्थान लेगा।
पृष्ठभूमि:
- दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत 69वें संविधान-संशोधन अधिनियम, 1991 द्वारा अस्तित्व में आया।
- दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम, 1991 की धारा 44 में कहा गया है कि उपराज्यपाल द्वारा की गई सभी कार्यकारी कार्यवाहियां , चाहे वे मंत्रियों की सलाह पर की गई हों , उपराज्यपाल के नाम से ही की जाएँगी।
- मौजूदा अधिनियम के अनुसार, दिल्ली विधान सभा के पास सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर सभी मामलों में कानून बनाने की शक्ति है।
नए क़ानून में मुख्य प्रावधान
- इसमें प्रस्तावित किया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में ‘सरकार’ का अर्थ दिल्ली के उपराज्यपाल से है।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 में वर्ष 1991 के अधिनियम की धारा 21, 24, 33 और 44 में संशोधन करने की बात की गई है।
- यह विधेयक उपराज्यपाल को उन मामलों में भी विवेकाधीन अधिकार देता है, जिनमें कानून बनाने का अधिकार सिर्फ दिल्ली विधान सभा को है।
- प्रस्तावित कानून में यह भी कहा गया है कि उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद (या दिल्ली कैबिनेट) द्वारा लिये गए किसी भी निर्णय से पहले राय देने के लिये “आवश्यक रूप से एक अवसर” दिया जाय।
- दिल्ली विधानसभा राजधानी के दैनिक प्रशासन के मामलों पर विचार व प्रशासनिक निर्णयों के संबंध में स्वयं को सक्षम करने के लिये कोई नियम नहीं बना सकती ।
संशोधन की आवश्यकता:
- दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम, 1991के द्वारा प्रक्रिया और व्यवसाय के संचालन संबंधि प्रावधान किये गए हैं, किन्तु इनके प्रभावी समयबद्ध कार्यान्वयन हेतु कोई संरचनात्मक तंत्र स्थापित नहीं किया गया । इसके अतिरिक्त आदेश जारी करने से पूर्व किस प्रकार के प्रस्ताव एवं मामलों को उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है इस बारे में भी स्पष्टता नहीं दी गई ।
स्रोत: द हिंदू