राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 पारित

राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 पारित

लोक सभा के बाद राज्य सभा ने भी, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021पारित कर दिया|

इस बिल में दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) की कुछ भूमिकाओं और अधिकारों को परिभाषित किया गया है।

पृष्ठभूमि:

  • संविधान के 69 वें संसोधन में ,अनुच्छेद- 239AA द्वारा, 1991 में दिल्ली को विशेष दर्जा प्रदान किया गया।
  • 69 वें संवैधानिक संसोधन ने दिल्ली को एक विधान सभा एवं एक मंत्रिपरिषद की व्यवस्था प्रदान की। मंत्रिपरिषद को विधान सभा के लिए जिम्मेदार बनाया गया और आम आदमी के समस्याओं के मामलों से निपटने के लिए सशक्त बनाया गया।
  • हाल ही में पारित ” राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021″, अनुच्छेद 239AA के विपरीत है।

विधेयक के प्रमुख बिंदु:

  • “सरकार” का अर्थ है “उपराज्यपाल (एलजी)”: दिल्ली सरकार के विधान सभा द्वारा बनाए जाने वाले किसी भी कानून में उल्लिखित ‘सरकार’ शब्द का अर्थ उपराज्यपाल (एलजी) होगा।
  • आवश्यक रूप से उपराज्यपाल को एक विशेष अवसर प्रदान किया गया:यह विधेयक यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय पर अमल करने से पहले उपराज्यपाल को ” एक विशेष अवसर ” दिया जाए।
  • उपराज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों का विस्तार: विधेयक उपराज्यपाल को विवेकाधीन शक्तियां देता है यहां तक कि उन मामलों में भी जहां दिल्ली की विधान सभा को कानून बनाने का अधिकार है।

इस मुद्दे से संबंधित कोर्ट का फैसला:

दिल्ली सरकार (NCT)बनाम भारत सरकार (2018) :

  • अदालत ने कहा कि मंत्रिपरिषद को उपराज्यपाल को अपने फैसलों से अवगत कराना चाहिए। अपने 2018 के फैसले में, पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने कहा है कि उपराज्यपाल की सहमति पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के अलावा अन्य मुद्दों पर आवश्यक नहीं है ।इसके साथ ही उपराज्यपाल, मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे थे।
  • न्यायालय ने यह भी कहा की, दिल्ली के उपराज्यपाल की स्थिति, किसी अन्य राज्य के राज्यपाल जैसी नहीं है , बल्कि सीमित अर्थ में वह, प्रशासक है।
  • यह भी बताया है कि निर्वाचित सरकार को यह ध्यान रखना होगा कि दिल्ली एक राज्य नहीं है।

शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य (1974):

इस वाद में निम्न तर्क देते हुए नायालय ने कहा कि, उपराज्यपाल जैसे व्यक्ति को अत्यधिक अधिकार देना ठीक नहीं है;

  • इसके बाद, चुनाव का कोई सार्थक मूल्य नहीं होगा।
  • नागरिकों की आवाज को अनदेखा किया जाएगा। क्योंकि नागरिकों द्वारा चुने गए चुने हुए प्रतिनिधियों को अपने कार्य करने के लिए, उचित शक्ति नहीं दी जाती है।
  • यह व्यावहारिक संघवाद और सहयोगी संघवाद की अवधारणाओं के खिलाफ है।

राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्‍ली सरकार अधिनियम, 1991:

  • एक विधानसभा के साथ केंद्रशासित प्रदेश के रूप में दिल्ली की वर्तमान स्थिति 69 वें संशोधन अधिनियम,1991 का परिणाम है, जिसके माध्यम से अनुच्छेद 239AA और 239 BB संविधान में सम्मिलित किए गए थे।
  • यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए विधान सभा और मंत्रिपरिषद से संबंधित संविधान के प्रावधानों को पूरक करने हेतु और इससे जुड़े मामलों या इसके अतिरिक्त आकस्मिक उपचार के लिए एक अधिनियम है।
  • राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्‍ली सरकार अधिनियम, 1991विधानसभा की शक्तियों की रूपरेखा देता है, उपराज्यपाल के विवेकाधीन शक्तियों और एलजी को जानकारी प्रस्तुत करने की आवश्यकता के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्यों को उल्लेखित किया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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